कांगड़ा के रामनगर में देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले मेजर अभिजय थापा की याद में स्मृति गेट का निर्माण होगा। सोमवार को विधायक सुधीर शर्मा ने इस गेट का शिलान्यास किया। इस गेट के निर्माण पर 4 लाख रुपए की लागत आएगी। शिलान्यास के दौरान शहीद के माता-पिता सुनील थापा और सुनीता थापा भी मौजूद रहे। विधायक सुधीर शर्मा ने कहा कि मेजर अभिजय का योगदान देश कभी नहीं भूल सकता। उन्होंने कहा कि युवाओं को उनके पदचिन्हों पर चलने की प्रेरणा मिले, यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इसी दिन कोतवाली स्थित गुरुद्वारा सिंह सभा के अतिरिक्त भवन का भी शिलान्यास हुआ। इस निर्माण कार्य के लिए 10 लाख रुपए की राशि स्वीकृत की गई है। चेलियां स्थित पिंगलेश्वर महादेव मंदिर में 8 लाख रुपए की लागत से सामुदायिक भवन की छत का निर्माण कार्य भी शुरू किया गया। कार्यक्रम में नगर निगम उप महापौर तेजेंद्र कौर, पार्षद अनुज धीमान, पार्षद राजकुमारी, भाजपा जिला अध्यक्ष सचिन शर्मा, धर्मशाला शहरी अध्यक्ष डॉ. विशाल नेहरिया, जिला कोषाध्यक्ष दीनेश बरसेन, महामंत्री राजेश वर्मा, मंडल प्रवक्ता डॉ. अश्वनी कौल, कैप्टन रमेश अटवाल, चंद्र भारद्वाज और सर्वजीत धीमान सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे। धर्मशाला के वीर सपूत मेजर अभिजय थापा का बलिदान: 11,000 लोगों की जान बचाकर खुद हुए शहीद
धर्मशाला (श्यामनगर) के वीर सपूत मेजर अभिजय थापा ने अपने साहस, निःस्वार्थता और अदम्य वीरता से ऐसा इतिहास रचा, जिसे आने वाली पीढ़ियां हमेशा याद रखेंगी। भारतीय सेना के कोर ऑफ इंजीनियर्स से कमीशन प्राप्त कर, बाद में हेलिकॉप्टर पायलट के रूप में सेना एविएशन कोर में योगदान देने वाले मेजर थापा के खाते में 250 से ज्यादा उड़ान घंटे का अनुभव था। 1 अक्टूबर 2014 को पिथौरागढ़ जिले के मुंसीयारी क्षेत्र के पास इंडो-चीन सीमा से लौटते समय उनके हेलिकॉप्टर में अचानक रोटर की गंभीर तकनीकी खराबी आ गई। हेलीकॉप्टर सीधा आबादी वाले भारतोल गांव और पास में स्थित 54 इंजीनियर रेजिमेंट के इलाके की ओर बढ़ रहा था। वहां हजारों ग्रामीण और सैनिक मौजूद थे। शौर्य चक्र से सम्मानित
स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए मेजर थापा ने बिना एक पल गंवाए हेलिकॉप्टर का रुख आबादी से दूर मोड़ दिया। उन्होंने एयर ट्रैफिक कंट्रोल को आपात संदेश भेजा और ईंधन आपूर्ति बंद कर दी, ताकि संभावित विस्फोट को रोका जा सके। इस साहसिक निर्णय ने करीब 11,000 लोगों की जान बचा ली, लेकिन इस दौरान मेजर थापा और उनके साथियों ने अपनी जान गंवा दी। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उनकी अद्वितीय वीरता और कर्तव्यनिष्ठा के लिए उन्हें शौर्य चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया। धर्मशाला में आज भी उनकी स्मृति में स्मारक, कार्यक्रम और श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किए जाते हैं। मेजर अभिजय थापा की गाथा यह साबित करती है कि असली वीरता वही है, जब कोई अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरों की जिंदगी बचाता है। उनका बलिदान देश के हर नागरिक के लिए प्रेरणा स्रोत है।

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