साहित्य समाज का आईना है और साहित्य ही पत्रकारिता का अधार सतंभ है । वदलते वक्त के साथ साहित्य की परिपाटी भी वदली है न्यूज प्लस साहित्य तथा साहित्य के क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों के लिए कई कार्यक्रम आयोजित कर रहा है, कई कवि सम्मेलनों का आयोजन किया जाता है और अब इसी कड़ी में एक कदम आगे चलते हुए हमने प्रयास किया है कि पूरे भारत के प्रबुध साहित्यकारों की रचानाएं न्यूज प्लस में प्रकाशित की जाए इसलिए लेखकों से आग्रह कर रहे हैं कि यदि उनका कोई भी ब्लॉग या वेवसाईट वनी है तो उसे हम न्यूज प्लस में भी स्थान देंगे और यदि नहीं वनी है तो बहुत कम खर्चे में हम लेखकों के लिए गुगल एक्सेस ब्लॉग या वैवसाईट वना के देंगे ताकि उनकी रचनाओं को पुरे भारत में न सिर्फ पाठक मिले वल्कि लेखक को गुगल एड़ सैन्स की और से पैसा भी आ सके और साथ ही हम आने वाले समय में चुनिदां रचनाओं के रचनाकारों को प्रोत्साहित करने की योजना पर भी कार्य कर रहे हैं, अतः आप से निवेदन है कि आप अपने व्लॉग का लिंक न्यूज प्लस के साहित्य संपादक श्री दीपक कुल्लवी को भेजें यदि आपका ब्लॉग या रचना न्यूज प्लस के अनुरूप लगी तो हमें उसे न्यूज प्लस पर प्रकाशित करने पर गौरव की अनुभूति होगी ।
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युवा लेखिका - लता शर्मा
(कुछ तो होता होगा) जो पसंद होगा , वो थोड़ा एडजस्ट(adjust) भी करता होगा , जो हाल पूछता होगा, वो साथ भी तो देता होगा , कुछ तो होता होगा........।। जो दिखता होगा , तब वो अंधेरा थोड़ी होगा , जो रूठता होगा, वो मान भी तो जाता होगा, कुछ तो होता होगा.....।। जो कभी बिछड़ता होगा, वो कभी तो फिर से मिलता होगा, जो रिश्ता कभी टूटता है, वो कभी न कभी जुड़ता तो होगा, कुछ तो होता होगा....।। भरोसे पर ही टिके हैं हम, जिसका भरोसा सच हुआ, उसी ने ही तो कहा होगा , कुछ तो होता होगा......।। जो बीमार होता होगा, वो ठीक भी तो हुआ होगा , जो मेहनत करता है, वो सफल भी तो होता होगा , कुछ तो होता होगा......।। जो भगवान हमे दिखता नहीं, वो हमको सुनता भी तो होगा , दुनिया तो चल रही, कोई तो इसे चला रहा होगा , कुछ तो होता होगा.......।। किस्मत की बात सब करते हैं, इसमें कुछ तो सच होता होगा, जिसका समय बुरा है , उसका अच्छा समय भी तो आता होगा , कुछ तो होता होगा.......।। (कुछ भी नहीं) मानव आकृति सब तरफ दिखती है,पर प्रकृति नहीं। अगर प्रकृति नहीं तो कुछ नही ।। लोगों की भीड़ में ,मानवता लुप्त हो गई। अगर मानवता ही नहीं तो कुछ नही ।। इस चहल पहल भरी दुनिया में दिल में उल्फत नही । दिल में अगर उल्फत नही तो कुछ नही ।। इंसान में अगर हज़ार जौहर हो तो क्या , अगर इंसानियत नही तो कुछ भी नहीं ,कुछ भी नहीं।। (कुछ भी नहीं) मानव आकृति सब तरफ दिखती है,पर प्रकृति नहीं। अगर प्रकृति नहीं तो कुछ नही ।। लोगों की भीड़ में ,मानवता लुप्त हो गई। अगर मानवता ही नहीं तो कुछ नही ।। इस चहल पहल भरी दुनिया में दिल में उल्फत नही । दिल में अगर उल्फत नही तो कुछ नही ।। इंसान में अगर हज़ार जौहर हो तो क्या , अगर इंसानियत नही तो कुछ भी नहीं ,कुछ भी नहीं।।