हिमाचल हाईकोर्ट में बहुचर्चित युग हत्याकांड के आरोपियों की सजा-ए-मौत की पुष्टिकरण और दोषियों की अपील पर आज सुनवाई हुई। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर व न्यायाधीश राकेश कैंथला की विशेष खंडपीठ ने सुनवाई के पश्चात अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। यह मामला सत्र न्यायाधीश शिमला ने सजा के आदेशों की कन्फर्मेशन के लिए रेफरेंस के तौर पर हाईकोर्ट को भेज रखा है। वहीं दोषियों ने भी दोष सिद्धि के खिलाफ अपील दायर कर रखी है। अपील व रेफरेंस पर आज विशेष खंडपीठ में सुनवाई पूरी हो गई है। अब अदालत के फाइनल डिसीजन का इंतजार है। 3 दोषियों ने फिरौती के लिए 4 साल के युग की निर्मम हत्या बता दें कि 3 दोषियों ने फिरौती के लिए 4 साल के मासूम युग की अपहरण के बाद निर्मम हत्या की थी। आरोप साबित होने के बाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश शिमला की अदालत ने 6 सितम्बर 2018 को दोषी चंद्र शर्मा, तेजिंद्र पाल और विक्रांत बख्शी को सजा-ए-मौत सुनाई। न्यायाधीश विरेंदर सिंह की अदालत ने इस अपराध को दुर्लभ में दुर्लभतम श्रेणी के दायरे में पाया था। 14 जून, 2014 शिमला के युग का मर्डर तीनों दोषियों ने 14 जून, 2014 को शिमला के राम बाजार से फिरौती के लिए 4 साल के युग का अपहरण किया। अपहरण के 2 साल बाद अगस्त 2016 में भराड़ी के पेयजल टैंक से युग का कंकाल बरामद हुआ। तीनों ने मासूम के शरीर में पत्थर बांध कर उसे जिंदा पानी से भरे टैंक में फेंक दिया था। साढ़े 10 माह के भीतर सुनाया था फैसला युग के अपहरण व हत्या मामले की जांच करने वाली सीआईडी ने 25 अक्तूबर, 2016 को चार्जशीट अदालत में दायर की। 20 फरवरी 2017 से अदालत में ट्रायल शुरू हुआ। इसमें कुल 135 में से 105 गवाहों के बयान हुए। युग के पिता से मांगी साढ़े तीन करोड़ की फिरौती इस मामले में शिमला और पूरे प्रदेश में मासूम युग को न्याय दिलाने की मांग को लेकर उस दौरान प्रदर्शन हुए। जगह जगह कैंडल लाइट जलूस निकाले गए। मायूस युग को उसके ही पड़ोस में रहने वाले एक दोषी ने किडनैप किया और तीनों दोषियों ने युग के पिता से साढ़े तीन करोड़ रुपए की फिरौती मांगी।