(महिमा गौत्तम-कुल्लू)उपायुक्त कार्यालय में मिजल्स-रूबेला उन्मूलन तथा स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम की जिला स्तरीय समन्वय समिति की बैठक उपायुक्त आशुतोष गर्ग की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। उपायुक्त ने जानकारी देते हुए कहा कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) तथा यूनिसेफ के अनुमान के मुताबिक देश भर में इस कार्यक्रम में पहली खुराक के अंतर्गत 82 प्रतिशत बच्चों को कवर किया गया था इस अभियान के अंतर्गत 9 माह से 15 वर्ष तक के बच्चों को यह टीका लगाया गया। अगर बच्चे ने पहले भी टीका लिया है तो भी उसे टीका दिया गया। उन्होंने कहा कि खसरा रोग के उन्मूलन तथा रूबेला को नियंत्रित करने के लिए बच्चों को यह टीका दिया जाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने वर्ष 2023 के अंत तक मिजिल्स रूबेला के उन्मूलन के लिए लक्ष्य निर्धारित किया है। रूबेला भी एक संक्रामक रोग है। यह भी वायरस द्वारा फैलता है। यदि कोई महिला गर्भावस्था के शुरुआती चरण में इससे संक्रमित हो जाए तो कंजेनाइटल रूबेला सिंड्रोम (सीआरएस) हो सकता है जो उसके भ्रूण तथा नवजात शिशु के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।बैठक में स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम पर भी चर्चा की गई । इसके तहत प्रत्येक विद्यालय से दो शिक्षकों (एक महिला व एक पुरुष) को हेल्थ एंड वेलनेस एंबेसडर बनाया जाएगा। इन्हें स्वास्थ्य व्यवहार को बढ़ावा देने और रोगों के रोकथाम के लिए प्रशिक्षित भी किया जायेगा। हेल्थ एंड वेलनेस एंबेसडर हर हफ्ते एक घंटा रोचक गतिविधियों के माध्यम से सत्र आयोजित करेंगे। स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम को स्वास्थ्य संवर्धन गतिविधियों के माध्यम से निवारक और प्रोत्साहन पहलुओं को मजबूत करने के लिए भारत सरकार के आयुष्मान भारत कार्यक्रम के स्वास्थ्य और कल्याण घटक के एक भाग के रूप में शामिल किया गया है। यह स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और एनसीईआरटी की एक संयुक्त पहल है।यह कार्यक्रम स्कूलों में बच्चों को स्वास्थ्य और पोषण के बारे में आयु-उपयुक्त जानकारी प्रदान करने और बच्चों के बीच स्वस्थ व्यवहार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू किया गया है , जिसे वे जीवन भर अपनाएंगे। जिले के सभी मध्य विद्यालय, उच्च माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों को कार्यक्रम में शामिल किया गया है। इसे स्वास्थ्य विभाग, समग्र शिक्षा अभियान, एससीईआरटी और शिक्षा विभाग के बीच संयुक्त प्रयासों और समन्वय के माध्यम से हासिल किया गया है उपायुक्त ने बताया कि प्रत्येक स्कूल में दो शिक्षकों, अधिमानतः एक पुरुष और एक महिला, को “स्वास्थ्य और कल्याण राजदूत” के रूप में नामित किया गया था, उन्हें हर हफ्ते एक घंटे के लिए रोचक गतिविधियों के रूप में स्वास्थ्य संवर्धन और बीमारी की रोकथाम की जानकारी देने के लिए प्रशिक्षित किया गया था । इन स्वास्थ्य संवर्धन संदेशों का राज्य में स्वास्थ्य प्रथाओं में सुधार पर असर पड़ेगा क्योंकि छात्र समाज में स्वास्थ्य और कल्याण दूत के रूप में कार्य करेंगे। उपायुक्त ने जानकारी दी गई कि अभी तक 462 शिक्षकों को इसके लिए प्रशिक्षण प्रदान कर दिया गया है। स्वास्थ्य शिक्षा पाठ्यक्रम में व्यक्तिगत स्वास्थ्य, पारिवारिक स्वास्थ्य, सामुदायिक स्वास्थ्य उपभोक्ता स्वास्थ्य, पर्यावरण स्वास्थ्य, कामुकता शिक्षा, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य, चोट की रोकथाम और बीमारी पर नियंत्रण, और मादक द्रव्यों के उपयोग और दुरुपयोग जैसे कई विषय शामिल हैं। योग्य, प्रशिक्षित शिक्षक स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करते हैं। बैठक में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा नागराज पंवार, चिकित्सा अधीक्षक डॉ नरेश कुमार, जिला कार्यक्रम अधिकारी डाइट सुरेंद्र शर्मा, उप निदेशक उच्च शिक्षा शांति लाल, जिला कार्यक्रम अधिकारी आईसीडीएस पदम् देव शर्मा सहित विभिन्न अधिकारी उपस्थित थे
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