(डी.आर. गौत्तम शिमला ) वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार, कवि, गीतकार तथा गायक दीपक कुल्लुवी 26 मार्च को हम सब से अचानक अलविदा कह गए और हम सब को कभी न भुलने वाले जख्म दे गए, मात्र 58 बर्ष की आयू में दीपक यूं वुझ जाएगा किसी ने सपने में भी नहीं सोचा। अखिर क्या वजह रही दीपक कुल्ल्वी के यूं जाने की । दिल्ली उनका अकसर आना जाना रहता था लगभग 1 माह पहले ही वह अपनी वेटी की शादी के सिलसिले में दिल्ली गए थे वहां से उनकी तबियत कुछ खराब हो गई थी, अपने सभी कार्य को पुरा करने के बाद वे दिल्ली से कुल्लू अपने घर आ गए थे उनकी सेहत कुछ खराब चल रही थीे देर रात वो बस से अपने घर पंहुचे और अपने कमरे में सो गए दीपक को पिछले कुछ समय से हाई ब्लड़ प्रेशर तथा मधुमेह की शिकायत थी वे विलकुल स्वाभिमानी स्वाभाव के थे इसलिए वे अपनी बीमारी को नजर अंदाज भी करते रहते थे उन्हे लगता था कि मेरी बीमारी की बजह से किसी को कोई परेशानी न हो इसलिए वह सबसे यही कहते थे कि नहीं कोई दिक्कत नहीं है यहां तक की उनके माता पिता और उनकी पत्नी उनके स्वस्थय को लेकर काफी चिंतित रहते थे किंतु वह सब को टाल देते थे कि नहीं कुछ नहीं हुआ है, और वह अपनी बीमारी को नजरअंदाज करते रहे । जैसे ही वह घर पंहचे तो एक दो दिन घर पर ही अराम करते रहे अचानक उनकी तबियत जब खराब होने लगी तो घर पर विना किसी को बताए खुद ही एक निजी क्लीनिक में अपना चैकअप करने गए जैसे ही डाक्टर ने उनका चैकअप किया तो वह हैरान थे कि दीपक कुछ ज्यादा ही अस्वस्थ हो चले थे, उन्होने परिवार को सुचना दी और उन्हे सरकारी अस्पताल कुल्लू ले जाया गया वहां नियम अनुसार उनका कोविड़ टेस्ट हुआ और वह कोरोना पोजेटिव आ गए जिससे वह काफ़ी घबरा गए और इसमें उनका ब्लड प्रेशर और बड़ गया और शुगर तो उनको था ही और उनके पत्नी और वेटा सब दिल्ली में ही थे अपने माता पिता को वे किसी तरह से परेशान नहीं करना चाहते थे जिसकी वजह से वह अब और घबरा गए, साथ ही अचानक कुल्लू में एक और खबर आ गई कि मनिकर्ण में करोना वेक्सीन लगाने से एक महिला की मौत हो गई इससे वह और घबरा गए, वहीं कुल्लू अस्पताल में सुबिधाओं का भी काफि अभाव है उनका वेंटिलेटर तक प्रोपर काम नहीं कर रहा था कोविड़ पेशेंट होने से वहां कोई अन्य डाक्टर भी नहीं जा पा रहे थे इसलिए भी उन्हे सही उपचार नहीं मिल पाया ऐसे में शुगर और हाई ब्लड़ प्रेशर की वजह से कोरोना का हमला और घातक हो गया और आखिर हाई ब्लडपे्रशर, शुगर, कोरोना की टेंशन, अकेलापन, कुल्लू अस्पताल में सुविधाओं का अभाव तथा उनकी कुछ लापरवाही उन्हें हम सब से छीन कर ले गई।