हिमाचल प्रदेश के नग्गर में 18 साल बाद ‘देव संसद’ का आयोजन होने जा रहा है। कुल्लू की आराध्य देवी माता हिडिम्बा के आदेश पर यह ‘बड़ी जगती’ 31 अक्टूबर को जगती पट्ट पर बुलाई गई है। इसका उद्देश्य मानव जाति पर मंडराती विपदाओं का निवारण करना है। इस महासमागम में 300 से अधिक देवी-देवताओं के देवालयों से कारकून (सेवादार) भाग लेंगे। यह आयोजन अंतर्राष्ट्रीय दशहरा उत्सव के दौरान होगा। बुजुर्गों और देवलुओं के अनुसार, जगती पट्ट का स्थान ’18 करडू’ के रूप में विशेष महत्व रखता है। यह वह स्थल है, जहां मानव पर बड़ी विपदा आने पर घाटी के सभी देवी-देवता एकत्रित होकर समस्याओं के निवारण के लिए आदेश जारी करते हैं। माता हिडिम्बा ने स्पष्ट रूप से कहा है कि ‘मनुष्य हठधर्मी छोड़ दे, आने वाला समय अच्छा नहीं दिख रहा है।’ देवलुओं का मानना है कि अधिकतर ‘जगती’ महामारी या देवताओं के स्थानों से छेड़छाड़ जैसी गंभीर चिंताओं को लेकर आयोजित की जाती हैं। वर्तमान में संपूर्ण विश्व विपदाओं से घिरा हुआ है, जिसके चलते देवताओं की शरण में पहुंचकर बचाव की गुहार लगाई गई है। इसी कारण माता हिडिम्बा ने इस ‘देव संसद’ को बुलाने का आदेश दिया है।
कोरोना महामारी में भी हुआ था ‘देव संसद’ का आयोजन यह उल्लेखनीय है कि हाल ही में 14 जुलाई 2021 को कोरोना महामारी के दौरान भी नग्गर जगती पट्ट में ‘देव संसद’ का आयोजन हुआ था। उस दौरान कोरोना महामारी के कारण सभी देव कार्यों, मेलों और अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा पर पाबंदी थी, जिससे देव परंपराओं का पूर्ण निर्वहन नहीं हो पाया था। इस पर देवी-देवताओं में काफी रोष व्याप्त था। उस ‘जगती’ में 100 से अधिक देवी-देवताओं ने अपने गुरों के माध्यम से आदेश दिया था कि वे उस वर्ष कुल्लू दशहरा के लिए प्रस्थान करेंगे। साथ ही, कोरोना महामारी को रोकने और अन्य बुरी शक्तियों के खात्मे के लिए ढालपुर मैदान में दशहरा पूर्व काहिका उत्सव होना भी अति आवश्यक बताया गया था। 18 साल पहले रोका था स्की विलेज प्रोजेक्ट नग्गर में होने वाला यह आयोजन 18 साल के लंबे अंतराल के बाद हो रहा है। इससे पहले, 16 फरवरी 2006 की ‘देव संसद’ में देवताओं ने एकजुट होकर हिमालयन स्की विलेज प्रोजेक्ट को स्थापित न करने का आदेश दिया था। देव आदेश के बाद कंपनी को अपना सारा सामान समेटकर वापस लौटना पड़ा था। रघुनाथ जी के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह और कारदार दानवेंद्र सिंह सभी देव कारकूनों के समक्ष पूछ डालकर समाधान का अनुरोध करेंगे। देवी-देवता कारदार संघ कुल्लू के अध्यक्ष दोत राम ठाकुर ने पुष्टि की है कि जगती में अधिकतर देवी-देवताओं के निशान (घोंडी धौर्च) के साथ गुर, पुजारी और देवताओं के हारियान सम्मिलित होंगे।

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