मंडी जिले की ऊंची चोटी पर स्थित शक्तिपीठ शिकारी देवी क्षेत्र में इस बार एक माह पहले बर्फबारी शुरू हो गई। बुधवार को मौसम की पहली बर्फबारी से मंदिर क्षेत्र सफेद चादर से ढक गया है। इससे यहां खूबशूरत नजारा छाया हुआ है। इससे कड़ाके ठंड के बाद श्रद्धालु ढके मंदिर के दर्शन करने पहुंच रहे हैं। 15 नवंबर से मार्च तक बंद होते हैं मंदिर के कपाट आमतौर पर यहां नवंबर के मध्य में बर्फबारी शुरू होती थी। मौसम विभाग के अनुसार समय से पहले मौसम परिवर्तन के कारण ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अक्टूबर में ही हिमपात शुरू हो गया है। आमतौर पर मंदिर के कपाट 15 नवंबर के बाद से 4 से 5 मार्च तक बंद रहते हैं। पर जल्द बर्फबारी के चलते कपाट नियत समय से पहले भी बंद किए जा सकते हैं। मंदिर पर कोई छत नहीं है शिकारी देवी मंदिर सराज घाटी के जंजैहली से लगभग 16 से 18 किलोमीटर दूर स्थित है। यह मंदिर अपनी अनोखी परंपरा और रहस्यमयी संरचना के लिए जाना जाता है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि मंदिर पर कोई छत नहीं है और यह खुले आसमान के नीचे स्थित है। सालों बाद हुई अक्टूबर में बर्फबारी स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले कई वर्षों में अक्टूबर में इतनी जल्दी बर्फबारी कम ही देखने को मिली है। फिलहाल, शिकारी देवी की वादियां बर्फ से ढकी खूबसूरती का अद्भुत नजारा पेश कर रही हैं, जो पर्यटकों और श्रद्धालुओं दोनों को आकर्षित कर रहा है।