हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा के मानसून सत्र में आज (सोमवार को) प्रदेश को आपदाग्रस्त राज्य घोषित करने का ऐलान किया। उन्होंने कहा, प्रदेश में बरसात थमने के बाद इस अधिसूचना वापस लेने पर विचार किया जाएगा। स्थिति को देखते हुए आपदा प्रबंधन अधिनियम लागू किया है। उन्होंने कहा, आपदा प्रभावितों के राहत एवं पुनर्वासन के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा, बारिश से भारी नुकसान हुआ है। इस मानसून सीजन में 320 लोगों की जान जा चुकी है। 3 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति नष्ट हो चुकी है। सरकार क्या कर सकेगी? कब लागू होता है स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट? स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट तब लागू होता है जब किसी राज्य में प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदा की स्थिति उत्पन्न होती है। प्रदेश में इस बार भारी बारिश ने कहर मचा रखा है। राज्य में इस बार सामान्य से 35 प्रतिशत और अगस्त में नॉर्मल से 68 प्रतिशत ज्यादा बारिश हो चुकी है। इससे जान और माल दोनों को नुकसान हो रहा है। इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। राज्य में इससे पहले कोरोना काल में भी इस एक्ट को लागू किया गया था। राज्य सरकार राष्ट्रीय आपदा की मांग कर रही इसे देखते हुए राज्य सरकार, केंद्र से इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की भी बार बार मांग करती रही है, ताकि केंद्र सरकार से इस आपदा से निपटने को आर्थिक मदद मिल सके। साल 2023 में भी हिमाचल में सदी की सबसे भीषण आपदा आई थी। मगर तब भी केंद्र ने यह मांग पूरी नहीं की। मुख्य सचिव ने जारी की नोटिफिकेशन मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद मुख्य सचिव ने भी डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट को लेकर आदेश जारी कर दिए है। इसमें 19 जून से अब तक भारी बारिश से हुई तबाही का जिक्र करते हुए राहत एवं पुनर्वासन कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए गए। उन्होंने कहा, सभी विभाग इमरजेंसी सपोर्ट सिस्टम (ESFs) का सख्ती से पालन करेंगे और आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए तत्काल कार्रवाई करेंगे। सभी डीसी डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धारा 34 में मिली शक्तियों का इस्तेमाल करने को कहा। पीडब्ल्यूडी, जल शक्ति विभाग और राज्य बिजली बोर्ड को बिजली, पानी व सड़कों की बहाली का काम युद्ध स्तर पर करने को कहा। सभी दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों को भी मोबाइल और लैंडलाइन कनेक्टिविटी बहाल करने को कहा गया।