श्रीखण्ड महादेव यात्रा पर आज 355 श्रद्धालुओं का दूसरा जत्था रवाना किया गया। इस दौरान पूरा निरमंड हर हर महादेव के नारों से गूंज उठा। श्रद्धालुओं का दूसरा जत्था 13 जुलाई को श्रीखंड पहुंचेगा। दो दिन में 1150 से ज्यादा श्रद्धालु श्रीखंड जा चुके हैं। इस यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह है। अच्छी बात यह है कि अभी तक मौसम भी साथ दे रहा है। अगले चार-पांच दिनों के दौरान भी भारी बारिश का कोई अलर्ट नहीं है। अमूमन श्रीखंड यात्रा में खराब मौसम बाधा उत्पन्न करता है। इस यात्रा को सुगम बनाने के लिए स्थानीय प्रशासन और मंदिर सेवा ट्रस्ट ने पुख्ता प्रबंध कर रखे है। बेस कैंप से श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य जांच के बाद ही आगे भेजा जा रहा है। फिटनेस टेस्ट पास करने वाले श्रद्धालुओं को श्रीखंड जाने की अनुमति दी जा रही है। श्रीखंड यात्रा को बनाए गए 5 बेस कैंप में चिकित्सीय सुविधा के अलावा सुरक्षा कर्मी और रेस्क्यू दल भी तैनात है। श्रद्धालुओं के खाने पीने के लिए कई जगह लंगर लगाए गए है। श्रीखंड को लेकर क्या है मान्यता? श्रीखंड को भगवान शिव और माता पार्वती का निवास माना जाता है। श्रीखंड महादेव की यात्रा अमरनाथ और मणिमहेश यात्रा से भी कठिन मानी जाती है। 18570 फीट की ऊंचाई पर बसे श्रीखंड महादेव को पंच कैलाशों में से एक माना जाता है, जिसके दर्शन को दशकों से लोग यहां पहुंचते हैं। साल 2014 में इस यात्रा को ट्रस्ट के अधीन लाया गया। अब यह यात्रा प्रशासन की देखरेख में होती है। इस यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को लगभग 32 किलोमीटर पैदल खतरनाक रास्तों, ग्लेशियर व संकरी पहाड़ी से चलना पड़ता है। इस यात्रा के दौरान सिंहगाड में बेस कैंप बनाया गया है, यहां पर हर यात्री का मेडिकल चेकअप करने के बाद ही पंजीकरण किया जा रहा है। इसके अलावा थाचडू, कुंशा, भीमडवारी व पार्वतीबाग में कैम्प स्थापित किए गए हैं। इनमें रेस्क्यू टीम, मेडिकल टीम, पुलिस और होमगार्ड की टीम आदि तैनात की गई है। अब तक 42 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी आधिकारिक तौर पर यात्रा शुरू होने के बाद से अब तक इस यात्रा के दौरान 42 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी हैं। बीते साल 5 यात्रियों की जान श्रीखण्ड यात्रा के दौरान गई थी। श्रीखंड महादेव के शिखर पर नहीं टिकती बर्फ विशेष बात यह है कि जब आसपास की ऊंची चोटियां बर्फ से ढक जाती हैं, तब भी श्रीखंड महादेव के शिखर पर कभी पूरी तरह बर्फ से नहीं ढकता। शिखर से करीब 50 मीटर की दूरी पर माता पार्वती, भगवान गणेश और स्वामी कार्तिकेय की प्रतिमाएं भी विराजमान हैं, जो श्रद्धालुओं की आस्था को और प्रगाढ़ बनाती हैं।