कांगड़ा में हिमाचल प्रदेश पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय डरोह में एक अनोखी पहल शुरू की गई है। यहां 246 सहायक उप-निरीक्षक (ASI) पदोन्नति प्रशिक्षण के दौरान साउंड हीलिंग थेरेपी का अभ्यास कर रहे हैं। यह पहल डीआईजी सौम्या सांबशिवन की है। उनका मानना है कि पुलिस बल को शारीरिक के साथ-साथ मानसिक रूप से भी मजबूत होना चाहिए। इसी सोच के तहत औपचारिक प्रशिक्षण में ध्वनि चिकित्सा को शामिल किया गया है। साउंड थेरेपी का संचालन चेस्ता चंदेल कर रही हैं। वह एक प्रमाणित योग प्रशिक्षक हैं और एक पुलिस अधिकारी की बेटी भी हैं। 40 मिनट का प्रत्येक सत्र उनके सत्रों में तिब्बती सिंगिंग बाउल्स और घंटियों की मधुर ध्वनि का उपयोग किया जाता है। प्रत्येक सत्र लगभग 40 मिनट का होता है। इससे न केवल मानसिक थकान दूर होती है, बल्कि कई घंटों की नींद के बराबर आराम भी मिलता है। यह थेरेपी नर्वस सिस्टम को शांत करती है और शरीर में नई ऊर्जा का संचार करती है। पुलिसकर्मियों को बर्नआउट से बचाने का तरीका डीआईजी सौम्या सांबशिवन के अनुसार, पुलिस की ड्यूटी में त्वरित निर्णय, भावनात्मक संतुलन और सतर्कता की निरंतर आवश्यकता होती है। मानसिक थकावट का प्रभाव उनके प्रदर्शन पर पड़ सकता है। ध्वनि चिकित्सा के माध्यम से पुलिसकर्मियों को बर्नआउट से बचाया जा रहा है। साथ ही उनमें मानसिक लचीलापन विकसित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह केवल एक प्रशिक्षण नहीं, बल्कि एक कल्याणकारी निवेश है। यह पुलिस बल की दीर्घकालिक कार्यक्षमता को बेहतर बनाएगा।

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