दिल्ली के 85 वर्षीय रिटायर्ड नेवी ऑफिसर नवीन चंद्र उपाध्याय पिछले 40 दिनों से लापता हैं। हिमाचल के पालमपुर से दिल्ली लौटते समय रास्ते में कुछ अनहोनी हो गई, जिसके बाद उनका कोई सुराग नहीं मिला। अब उनकी कर्नल बेटी और परिवार चंडीगढ़, अंबाला से लेकर करनाल तक उन्हें ढूंढ रहे हैं, लेकिन अब तक निराशा ही हाथ लगी है।
आखिर में मामला हरियाणा डीजीपी तक पहुंचा, जहां से केस स्टेट क्राइम ब्रांच को सौंपा गया है। पुलिस ने हर संभावित इलाके में वृद्धाश्रमों और थानों को फोटो भेज दी है, लेकिन अब तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। दिल्ली लौटते वक्त हुआ कुछ अनहोनी का अंदेशा
11 जून को सुबह करीब 6 बजे रिटायर्ड नेवी ऑफिसर नवीन चंद्र उपाध्याय हिमाचल प्रदेश के पालमपुर से दिल्ली लौटने के लिए निकले थे। उन्होंने सबसे पहले पालमपुर से चंडीगढ़ के लिए बस पकड़ी। चंडीगढ़ के सेक्टर-43 बस अड्डे पर वे सीसीटीवी कैमरे में कैद हुए। इसके बाद सेक्टर-17 की आईएसबीटी की फुटेज में भी उनकी मौजूदगी देखी गई। यहां तक सब कुछ सामान्य था, लेकिन इसके बाद जो घटनाएं हुईं, उसने पूरे परिवार को चिंता में डाल दिया। बस से दिल्ली के लिए निकले थे
सीसीटीवी में नवीन चंद्र को दिल्ली जाने वाली बस में चढ़ते हुए भी देखा गया, लेकिन वह दिल्ली कभी नहीं पहुंचे। परिवार को शक है कि सेक्टर-43 और सेक्टर-17 के बीच या चंडीगढ़ से निकलते वक्त उनके साथ कोई अनहोनी हो गई। बेटी लेफ्टिनेंट कर्नल मोनिका शर्मा का कहना है कि संभवत उनके पैसे चोरी हो गए होंगे और इसी कारण वे आगे का सफर नहीं कर पाए। जिरकपुर के सिंहपुरा बस स्टैंड पर अंतिम बार देखे गए
उनकी अगली लोकेशन जिरकपुर के सिंहपुरा बस स्टैंड के आसपास देखी गई, जहां उन्हें एक बस से उतार दिया गया। यहीं से उनका कोई सुराग नहीं मिला। खास बात यह रही कि उनके पास न तो मोबाइल फोन था, न पैसे और न ही कोई पहचान पत्र, जिससे पहचान करना और भी मुश्किल हो गया है। बेटियां करनाल पहुंची, यहां भी ढूंढा लेकिन कोई सुराग नहीं मिला
करीब 40 दिन से लापता अपने पिता की तलाश में उनकी दोनों बेटियां और परिवार करनाल पहुंचे, जहां उन्होंने कई इलाकों में पूछताछ की और तलाश की, लेकिन उन्हें कोई जानकारी नहीं मिल पाई। लेफ्टिनेंट कर्नल मोनिका शर्मा ने बताया कि वह खुद सेना में 22 साल सेवा दे चुकी हैं और उनके पिता 1971 वॉर के वेटरन हैं। परिवार ने चंडीगढ़ से लेकर करनाल तक लगातार कोशिश की, लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी। हरियाणा डीजीपी से मिलने के बाद केस स्टेट क्राइम ब्रांच को सौंपा गया
परिवार ने चंडीगढ़, अंबाला, जिरकपुर और करनाल के पुलिस अधिकारियों से मुलाकात की और मदद मांगी। शुरुआत में स्थानीय एसएचओ, डीएसपी और एसपी स्तर पर जांच हुई, लेकिन जब कोई हल नहीं निकला तो डीजीपी हरियाणा से संपर्क किया गया। इसके बाद केस को हरियाणा स्टेट क्राइम ब्रांच के हवाले किया गया है, जो अब मामले की गहराई से जांच कर रही है। हर वृद्धाश्रम में भेजी गई फोटो, आमजन से भी की गई अपील
क्राइम ब्रांच के जांच अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि नवीन चंद्र को अंतिम बार जिरकपुर के सिंहपुरा बस स्टैंड पर देखा गया था। उनके पास न तो कोई आईडी थी, न मोबाइल फोन और न ही पैसे। इस कारण उनकी पहचान कर पाना और तलाश करना चुनौतीपूर्ण बन गया है। हालांकि सभी संभावित इलाकों के वृद्धाश्रमों में उनकी फोटो भेजी जा चुकी है और पुलिस टीमें लगातार सर्च कर रही हैं। अगर कहीं दिखे तो नजदीकी पुलिस स्टेशन में दें जानकारी
पुलिस विभाग और परिवार की ओर से आमजन से अपील की गई है कि यदि कोई बुजुर्ग व्यक्ति भटके हुए हालत में दिखाई दे, जो अपना नाम भी ठीक से नहीं बता पा रहा हो, तो तत्काल नजदीकी पुलिस थाने में संपर्क करें या पुलिस हेल्पलाइन पर जानकारी दें। उनके चेहरे की फोटो भी सोशल मीडिया और थानों के माध्यम से फैलाई जा रही है।
