हिमाचल में बार-बार बादल फटने की घटनाओं पर स्टडी के लिए केंद्रीय टीम शिमला पहुंच गई है। सीएसआईआर रुड़की के चीफ साइंटिस्ट कर्नल केपी सिंह की अध्यक्षता में पहुंची टीम आज हिमाचल के अधिकारियों के साथ मीटिंग करेगी। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के निदेशक डीसी राणा केंद्रीय टीम को बादल फटने की घटनाओं पर प्रेजेंटेशन देंगे। डीसी राणा बताएंगे कि किस तरह चंद मिनटों के भीतर भारी बारिश तबाही का कारण बन रही है। इससे लोगों के घर, सड़क, रास्ते, खेत-खलियान और विभिन्न प्रोजेक्ट बाढ़ में बह रहे हैं। इस दौरान केंद्रीय टीम को भारी बारिश से हुए नुकसान की पूरी जानकारी भी शेयर की जाएगी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्देशों पर गठित टीम कल और परसों (25-26 जुलाई) उन क्षेत्रों में जाएगी, जहां बीते दिनों बादल फटा है और बादल फटने के कारणों का पता लगाने का प्रयास करेगी। केंद्रीय टीम दिल्ली लौटने के बाद 5 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपेंगी। इस मानसून सीजन में 25 बादल फटे प्रदेश में इस मानसून सीजन में 25 जगह बादल फटने की घटनाएं पेश आई है। इससे जान व माल का भारी नुकसान हुआ है। अकेले मंडी जिला 15 जगह बादल फटा है। चंबा 4 और कुल्लू में 3 जगह बादल फटने की घटनाएं पेश आ चुकी है। बादल फटने से 14 और इसके बाद बाढ़ में बहने से 8 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 34 लोग कई दिनों से लापता है। कैसे फटता है बादल? बादल फटना एक प्राकृतिक घटना है। जब जमीन से गर्म हवाएं बादलों की तरफ उठती है और बारिश की बूंदों को ऊपर की तरफ ले जाती है, तो इससे बारिश ठीक से नहीं हो पाती जिससे बादलों में बहुत अधिक नमी हो जाती है। फिर जब ऊपर की तरफ जाने वाली हवा कमजोर हो जाती है, तब ऐसी स्थिति में बादल में जो भी पानी जमा होता है वो एक साथ बहुत तेजी बरसता है। इसे बादल फटना कहते हैं। बादल फटने पर 100 मिलीमीटर या इससे भी ज्यादा बारिश चंद मिनटों में एक सीमित क्षेत्र में होती है। इससे बाढ़ और लैंडस्लाइड की घटनाएं देखने को मिलती है। मुख्यमंत्री के आग्रह पर हिमाचल पहुंची केंद्रीय टीम मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने बीते दिनों दिल्ली जाकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बादल फटने की घटनाओं पर स्टडी करने का आग्रह किया था। अमित शाह के आदेशों पर ही केंद्र से टीम हिमाचल पहुंची है। अब उम्मीद की जा रही है कि केंद्रीय टीम बादल फटने के स्टीक कारण बता पाएगी और इससे बचाव के सुझाव दे पाएगी। केंद्रीय टीम ने ये सदस्य मौजूद केंद्रीय टीम में कर्नल केपी सिंह के अलावा सीएसआईआर रुड़की के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. एसके नेगी, मणिपुर यूनिवर्सिटी के रिटायर जियोलॉजिस्ट अरुण कुमार, आईआइटीएम रिसर्च सेंटर पुणे की सुष्मिता, आईआईटी इंदौर की सिविल इंजीनियर नीलिमा शामिल हैं।