हिमाचल प्रदेश में डॉ. राजीव बिंदल तीसरी बार भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष बन गए हैं। शिमला के पीटरहॉफ में केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने राजीव बिंदल के नाम की आधिकारिक घोषणा कर दी है। बिंदल के अलावा 8 राष्ट्रीय परिषद सदस्य के नाम का भी ऐलान किया गया। अब राजीव बिंदल के कंधों पर उनके विरोधी माने जाने वाले नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के साथ तालमेल बैठाकर साल-2027 के चुनाव जीतने की बड़ी जिम्मेदारी होगी। कोरोना काल में भ्रष्टाचार के आरोप झेलने वाले राजीव बिंदल के अध्यक्ष बनने की 5 बड़ी वजह… 7 से 8 नाम रेस में रहे, बिंदल सभी पर भारी हिमाचल प्रदेश में भाजपा अध्यक्ष के लिए बिंदल के अलावा 7 से 8 नाम चर्चा में थे। जातीय व क्षेत्रीय समीकरण की वजह से इंदू गोस्वामी, राजीव भारद्वाज और डॉ. सिकंदर कुमार के अध्यक्ष बनने की चर्चाएं रही। बिंदल बनिया कम्युनिटी से संबंध रखते हैं। इसलिए माना जा रहा था कि SC, ब्राह्मण या फिर महिला वोटर को साधने के लिए भाजपा हाईकमान इस बार नया दांव खेल सकता है। बिंदल की रणनीति के आगे नहीं चले जातीय-क्षेत्रीय समीकरण SC वोटरों को साधने के लिए राज्यसभा सांसद डॉ. सिकंदर कुमार के नाम की खूब चर्चाएं रही। इसी तरह प्रदेश की सत्ता की चाबी तय करने वाले कांगड़ा जिले को साधने के लिए डॉ. राजीव भारद्वाज के भी अध्यक्ष बनने की खूब चर्चाएं थी। बिंदल के लिए एक तीर से दो निशाने चर्चा थी कि राजीव भारद्वाज को अध्यक्ष बनाकर BJP एक तीर से दो निशाने साधेगी। भारद्वाज के अध्यक्ष बनने से कांगड़ा जिले और ब्राहाण वोट पर भाजपा सेंधमारी करेगी। मगर ऐसा नहीं हुआ। आधी आबादी यानी महिलाओं को साधने के लिए PM मोदी की करीबी माने जाने वाली इंदू गोस्वामी को भी अध्यक्ष बनाए जाने की खूब चर्चाएं रही थी। 2027 का रण जीतने की बिंदल के कंधों पर जिम्मेदारी पार्टी ने इन सब चीजों को नजरअंदाज करते हुए 2027 के चुनाव जीतने का जिम्मा अनुभवी और 5 बार के विधायक राजीव बिंदल के कंधों पर डाला है। राजीव बिंदल अपने रणनीतिक कौशल की वजह से सोलन और नाहन दो अलग अलग जगह से विधायक रहे हैं। सोलन सीजन 2012 में आरक्षित होने के बाद बिंदल नाहन गए और चुनाव जीत गए। 2017 में वह दोबारा नाहन से चुनाव जीते। 2022 में वह नाहन से चुनाव हारे। इससे पहले के तीन चुनाव वह सोलन से जीते हैं। कोरोना काल में देना पड़ा था इस्तीफा राजीव बिंदल के इसी अनुभव को देखते हुए पार्टी हाईकमान ने कोरोना काल में भ्रष्टाचार के आरोप झेलने के बावजूद उन्हें फिर से अध्यक्ष बनाया है। कोरोना काल में राजीव बिंदल हिमाचल भाजपा के अध्यक्ष थे। तब उन पर पीपीई किट इत्यादि की खरीद में भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। लगभग साढ़े चार महीने के कार्यकाल के बाद उन्हें अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा था। हालांकि पूर्व की भाजपा सरकार ने बाद में राजीव बिंदल को क्लिन चिट दी दी थी। साल 2022 में बिंदल नाहन विधानसभा से कांग्रेस के अजय सोलंकी से चुनाव हार गए। अध्यक्ष के लिए ये नाम थे रेस में राजीव बिंदल के अलावा अध्यक्ष के लिए राजीव भारद्वाज, सिकंदर कुमार, इंदू गोस्वामी, त्रिलोक जम्वाल, विपिन सिंह परमार, सत्तपाल सत्ती, बिक्रम ठाकुर और रणधीर शर्मा का नाम खूब चर्चा में रहा। पार्टी के ये सभी नेता एक एक कर राष्ट्रीय नेतृत्व से मिले। मगर इन सब पर बिंदल की कौशल नेतृत्व क्षमता भारी पड़ी है। BJP के राष्ट्रीय परिषद के पदेन सदस्य हिमाचल में भाजपा के चुनाव अधिकारी डॉ. राजीव भारद्वाज ने कहा, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, अनुराग ठाकुर, सुरेश कश्यप, कंगना रनोट, राजीव भारद्वाज, इंदू गोस्वामी, डॉ. सिकंदर कुमार और हर्ष महाजन राष्ट्रीय परिषद के पदेन सदस्य निर्वाचित किए गए हैं। भाजपा के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य पद के 8 नामांकन भाजपा के चुनाव अधिकारी डॉ. राजीव भारद्वाज ने बताया कि इस नामांकन प्रक्रिया के दौरान हमें राष्ट्रीय परिषद के सदस्य के लिए 8 नामांकन प्राप्त हुए जिसमें भाजपा के वरिष्ठ नेता गोविंद ठाकुर, महामंत्री बिहारी लाल शर्मा, महामंत्री त्रिलोक कपूर, पवन काजल, रश्मिधर सूद, पायल वैद्य, डॉ.राजीव सहजल और संजीव कटवाल शामिल है।