हिमाचल प्रदेश सरकार की हिमकेयर योजना के तहत चंडीगढ़ पीजीआई में इलाज करवाने वाले मरीजों के बिलों का भुगतान अब तक नहीं हुआ है। जानकारी के मुताबिक, मार्च 2024 से अप्रैल 2025 के बीच 1478 मरीजों का इलाज पीजीआई में हुआ, जिनका कुल बकाया अब 14 करोड़ 30 लाख रुपए तक पहुंच गया है। पीजीआई प्रशासन ने कई बार हिमाचल सरकार को भुगतान के लिए रिमाइंडर भेजे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। यहां तक कि हिमाचल सरकार के स्पेशल सेक्रेटरी हेल्थ और हिमकेयर के सीओओ अश्वनी शर्मा से संपर्क करने के बावजूद भी मामला जस का तस बना हुआ है। नड्डा ने दिए थे वसूली के निर्देश स्वास्थ्य मंत्रालय ने हिमाचल सरकार की इस लापरवाही को गंभीरता से लिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने पीजीआई की गवर्निंग बॉडी की बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए थे कि यह मामला प्राथमिकता से उठाया जाए। इसके बाद ही वसूली की प्रक्रिया शुरू हुई। हिमाचल सरकार और पीजीआई के बीच 25 फरवरी 2024 को केशलैस इलाज के लिए एम.ओ.यू. साइन हुआ था, जिसके तहत हर महीने बिल देने के एक माह के भीतर भुगतान होना था। लेकिन भुगतान में देरी के चलते अब एम.ओ.यू. रद्द होने की स्थिति बन गई है। यदि ऐसा हुआ तो हिमकेयर के तहत मरीजों को मिलने वाली निशुल्क इलाज सुविधा बंद हो जाएगी और उन्हें फिर से पूरे इलाज का खर्च खुद उठाना पड़ेगा। इलाज करवा चुके मरीजों को भी नहीं मिला पैसा सिर्फ केशलैस इलाज ही नहीं, बल्कि 2023 में जिन मरीजों ने खुद खर्च करके इलाज करवाया था, उन्हें भी अब तक पैसा नहीं मिला। इन मरीजों ने दस्तावेज जमा कर दावे लगाए थे, लेकिन पिछले दो साल से उन्हें सिर्फ आश्वासन मिल रहे हैं, भुगतान नहीं। पीजीआई प्रशासन पर अब यह व्यवस्था भारी पड़ रही है। बिल कई बार भेजे जा चुके हैं, लेकिन न तो भुगतान हो रहा है और न ही कोई ठोस जवाब मिल रहा है। ऐसे में एम.ओ.यू. के भविष्य और मरीजों की सुविधा दोनों पर संकट खड़ा हो गया है।

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