विनोद कुमारः न्यूज प्लसः कुल्लू। 12 अक्तूबर को कुल्लू प्रशासन ने कुल्लू दशहरे उत्सव 2020 को मनाने को लेकर देवसदन कुल्लू में सभा आयोजित की थी इसमें दशहरे उत्सव को लेकर विस्तार से चर्चा की गई थी जो की विधायक गोविंद ंिसंह ठाकुर, महेश्वर सिंह, उपायुक्त आदि की देखरेख में संपन्न हुई थी। प्रशासन ने उत्सव को मनाने के लिए सिर्फ रघुनाथ की रथ यात्रा को चलाने की परंपरा को शामिल किया साथ ही 7 देवी देवदाओं के नीशान देने को शामिल करने की बात कही थी बाकी सभी कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया जिसमें व्यापारिक मेला, साघ्य कार्यक्रम और अन्य सभी देवी देवताओं को आने पर रोक लगा दी थी वहीं अब सरकार का यह फैसला सरकार पर ही भारी पड़ने लगा है। सरकार के इस फैसले को देव समाज के लोग खुलकर विराध कर रहें है। इसका विरोध श्री रघूनाथ जी महाराज कुल्लू फेसबुक पेज पर देखा जा रहा है और सोशल मीड़िया पर भी यह वायरल हो रहा है। वहीं स्थानीय लोगों की विभिन्न प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही है। जिसमें देव समाज से जूडे लोग ने प्रशासन के इस फैसले को आपत्तिजनक बताया। लोगों का कहना है कि देव कार्य के लिए ही कोरोना क्यू है पर्यटकों, राजनीतिक दलों के धरने प्रदर्शन के लिए कोरोना क्यों नहीं है जिसमे 500 से 1000 व्यक्ति उपस्थि रहते है। लगता है उनसे कोरोना डरता है और देव कार्य मे कोरोना डराता है । लोगों का मानना है कि सरकार व्यपार और रंगारंग कार्यक्रम न करो तो चलेगा। क्योंकि इसका देव कार्य मे कोई लेना देना नही है ये तो सिर्फ प्रशासन की आमदनी का साधन है। लेकिन देव कार्य मे दशहरे में विघ्न न डाला जाएं। साथ ही देव समाज से जुडे लोगों ने कोरोना के मद्देनजर प्रशासन से ये अनुरोध भी किया कि मुख्य देवी देवताओं को रथ के साथ सम्मान पूर्वक बुलाये और उनके साथ व्यक्तियों की संख्या निश्चित करें। ताकि देव परंपरा भी चल सके और कोरोना के नियमो का पालन भी हो सके। देव समाज से जुडे लोगों ने सरकार को लताडते हुएं कहा कि सरकार पर्यटकों और राजनीति में तो सरकार कहीं कोरोना नियम देख नहीं रही है और देव समाज पर तथा देवनियमों पर सरकार कड़े नियम लागु कर रही है जो किसी भी नज़र से ठीक नहीं हैं। देव समाज के लोग सरकार को चेताने की कोशिश कर रहें है कि एक बार पुनः विचार करे प्रशासन ये साल में एक बार होने वाला देव महाकुम्भ है कोई मजाक नही।

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