हिमाचल प्रदेश के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) शिमला में हाल ही में हुई घटना को लेकर स्टेट एसोसिएशन ऑफ मेडिकल एंड डेंटल कॉलेज टीचर्स (सैमडकोट) ने कड़ा रुख अपनाया है। संगठन ने प्रशासन, मीडिया और जनता से अपील की है कि मामले में संयम, सुरक्षा और निष्पक्षता बनाए रखी जाए। सैमडकोट ने घटना की गहन, पारदर्शी और निष्पक्ष जांच की मांग की है। सैमडकोट ने कहा कि स्पष्ट किया कि आईजीएमसी में डॉक्टर और मरीज पक्ष के बीच हुई घटना का आकलन केवल सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे संपादित वीडियो क्लिप्स के आधार पर करना अनुचित है। इससे जनता को गुमराह होने का खतरा है। आरोप लगाया कि कई वीडियो और ऑडियो क्लिप्स में अस्पताल परिसर के भीतर भीड़ द्वारा ‘मॉब जस्टिस’ की मांग, डॉक्टरों को धमकाने और उन पर दबाव बनाने की बातें स्पष्ट रूप से सुनी जा सकती हैं। तीन घंटे चिकित्सीय सेवा बाधित रही संगठन के अनुसार, प्राथमिक चिकित्सा वार्ड को तीन घंटे से अधिक समय तक घेरे में रखा गया, जिससे गंभीर मरीजों की चिकित्सा सेवाएं प्रभावित हुईं। इस दौरान अस्पताल में भय और अराजकता का माहौल बन गया। ऑडियो रिकॉर्डिंग में लोगों को ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों को खुली धमकियां देते हुए सुना जा सकता है, जिससे उनकी सुरक्षा और जीवन पर सीधा खतरा पैदा हुआ। डॉक्टरों की धमकियां दी गईं, निजता का उल्लंघन सैमडकोट ने यह भी आरोप लगाया कि सोशल मीडिया और कुछ मंचों पर केवल डॉक्टरों की प्रतिक्रिया को दिखाया गया, जबकि लंबे समय तक चली गाली-गलौज, धमकियों और मानसिक दबाव को नजरअंदाज कर दिया गया। संगठन ने डॉक्टरों की निजता के गंभीर उल्लंघन पर चिंता व्यक्त की। सैमडकोट ने कहा कि बिना अनुमति उनकी व्यक्तिगत तस्वीरें और वीडियो सार्वजनिक किए गए। इसके अतिरिक्त, फर्जी और एआई-जनित तस्वीरों व वीडियो के माध्यम से डॉक्टरों को हिंसक दर्शाने का प्रयास किया गया, जिससे जनता को भ्रमित किया गया।