हिमाचल की राजधानी शिमला की संजौली मस्जिद से जुड़े विवाद ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है। मस्जिद को संरक्षित रखने के लिए ऑल हिमाचल मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी ने नए सीरे से नगर निगम आयुक्त से मस्जिद का नक्शा पास करवाने का दावा किया। शिमला में सोमवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में सोसायटी के प्रदेश अध्यक्ष नजाकत अली हाशमी ने कहा-हाईकोर्ट में अगली सुनवाई से पहले नगर निगम आयुक्त के पास मस्जिद का नक्शा पास करवाने के लिए दोबारा अर्जी दाखिल करेंगे। उन्होंने कहा- मस्जिद के बचे हुए स्ट्रक्चर में कोई भी चीज अवैध नहीं है। इसलिए दोबारा एप्लिकेशन डालकर नियमों के तहत नक्शा पास कराने की अनुमति मांगी जाएगी। हाशमी ने दावा किया कि संजौली मस्जिद 1915 से चल रही है। उन्होंने कागज भी दिखाते। यह बात सही है कि नक्शा पास हुए बगैर यहां पांच मंजिला मस्जिद बना दी गई थी, मगर अब ऊपर की दो मंजिल तोड़ी जा चुकी है। उन्होंने कहा- मुस्लिम समुदाय नियमों के तहत मस्जिद को मॉडिफाई करने को तैयार है। उन्होंने कहा- 1998-99 तक इस जमीन पर वक्फ बोर्ड का कब्जा और मालिकाना हक दर्ज था। 2002-03 के बाद यह जमीन सरकार के नाम कैसे दर्ज हो गई, इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। राजस्व रिकॉर्ड में भी इस भूमि पर मस्जिद मौजूद होने का उल्लेख मिलता है। कोर्ट में मालिकाना हक साबित नहीं कर पाई मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी बेशक, ऑल हिमाचल मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी ने मस्जिद पर मालिकाना हक का दावा कर रहा है। मगर सोसायटी इसे नगर निगम आयुक्त कोर्ट और जिला अदालत में साबित नहीं कर पाया। यही है कि पहले निगम कमिश्नर कोर्ट ने पूरी मस्जिद को हटाने के आदेश दिए। फिर जिला अदालत ने भी कमिश्नर कोर्ट के आदेशों को सही ठहराया। अब मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। मगर हाईकोर्ट भी ऊपर की तीन मंजिल हटाने के आदेश दे चुका है। मगर निचली दो मंजिल को लेकर यथास्थिति बनाए रखने को कहा है।

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