किन्नौर जिले के सीमावर्ती नेसंग गांव से ग्रामीण सुविधाओं के अभाव में पलायन कर रहे हैं। ग्राम विकास कमेटी नेसंग के पूर्व अध्यक्ष जीतराम नेगी ने रिकांगपिओ में यह जानकारी दी। इस दौरान धरेंद्र और पुष्पेंद्र भी उनके साथ मौजूद रहे। नेगी ने बताया कि ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के तहत अब तक कोई धनराशि प्राप्त नहीं हुई है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि नेसंग गांव में कुल 168 परिवार थे, जिनमें से अब केवल 25 परिवार ही बचे हैं। बाकी सभी ग्रामीण सुविधाओं के अभाव में पलायन कर चुके हैं। सर्दियों में पानी जमने के कारण पेयजल की दिक्कत उन्होंने याद दिलाया कि ‘वाइब्रेंट विलेज’ योजना का लक्ष्य सीमावर्ती आबादी को राष्ट्रीय मुख्यधारा से जोड़ना और राष्ट्र की सुरक्षा को मजबूत करना है। इस योजना के तहत गांवों में सड़क, दूरसंचार, शिक्षा, स्वास्थ्य और पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जानी हैं। नेगी ने गांव में व्याप्त समस्याओं को उजागर किया। उन्होंने बताया कि सर्दियों में पानी जमने के कारण पेयजल की गंभीर किल्लत रहती है। सीवरेज व्यवस्था न होने से भी ग्रामीणों को परेशानी होती है। इसके अतिरिक्त, नेसंग गांव में संचार सुविधा भी संतोषजनक नहीं है। स्वास्थ्य सुविधाओं का भी अभाव उन्होंने कहा कि सर्दियों के दौरान कई स्थानों पर हिमस्खलन के कारण सड़कें बंद हो जाती हैं, जिससे ग्रामीणों को पैदल यात्रा करनी पड़ती है। गांव में स्वास्थ्य सुविधाओं का भी अभाव है, जिससे बुजुर्गों को इलाज के लिए संघर्ष करना पड़ता है। सिंचाई की उचित व्यवस्था न होने से किसानों और बागवानों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जीतराम नेगी ने केंद्र और प्रदेश सरकार से आग्रह किया कि सीमांत क्षेत्र को जोड़ने वाली निर्माणाधीन वाया ऋषि डोगरी सड़क को वाया नेसंग से बनाया जाए। उन्होंने दावा किया कि यह मार्ग लागत में कम होगा और सर्दियों में कम समय के लिए बंद रहेगा। नेगी ने सरकारों से नेसंग गांव के इन ज्वलंत मुद्दों का शीघ्र समाधान करने का अनुरोध किया, ताकि ग्रामीणों को पलायन करने से रोका जा सके और उन्हें बेहतर जीवन मिल सके।