हिमाचल प्रदेश में छात्र संगठन एसएफआई ने सुक्खू सरकार के छात्र-विरोधी निर्णयों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शुक्रवार को एसएफआई ने स्कूलों और कॉलेजों को बंद करने के विरोध में पंचायत भवन से लोअर बाजार तक “शिक्षा बचाओ महारैली” निकाली। संगठन ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें जल्द नहीं मानी गईं, तो आने वाले दिनों में विधानसभा का घेराव किया जाएगा। बंद स्कूलों को खोलने और छात्र संघ चुनाव बहाल करने की मांग
रैली के दौरान एसएफआई ने सरकार से बंद किए गए स्कूलों व कॉलेजों को तत्काल फिर से खोलने की मांग की। इसके साथ ही छात्र संघ चुनावों (एससीए) को बहाल करने, ईआरपी सिस्टम की तकनीकी खामियों को दूर करने और शिक्षण संस्थानों में पीटीए के नाम पर हो रहे कथित भ्रष्टाचार पर रोक लगाने की भी मांग उठाई गई। बेरोजगारी पर चिंता, सरकार को याद दिलाई रोजगार गारंटी
संगठन ने प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी पर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार को चुनावों के दौरान दी गई एक लाख रोजगार की गारंटी भी याद दिलाई। “शिक्षा व्यवस्था के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं” — एसएफआई
एसएफआई की जिला इकाई के सचिव पवन कुमार ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने वाले फैसले छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हैं। उन्होंने बताया कि संगठन इन मुद्दों पर रणनीति तय करने के लिए आज से शुरू हो रहे अपने 38वें वार्षिक सम्मेलन में व्यापक चर्चा करेगा। पवन कुमार ने स्पष्ट किया कि जब तक छात्रों से जुड़े मुद्दों का समाधान नहीं होता, आंदोलन को और तेज किया जाएगा। सरकार का तर्क — शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने का प्रयास
उल्लेखनीय है कि हिमाचल के सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या लगातार घट रही है। पिछले पौने तीन साल में 1,353 स्कूल बंद या मर्ज किए जा चुके हैं। सरकार का कहना है कि यह कदम शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए उठाया गया है।

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