केरल हाईकोर्ट ने कहा कि मंदिर के पुजारी की नियुक्ति में किसी खास जाति या वंश से होना जरूरी नहीं है। कोर्ट ने पारंपरिक तंत्री परिवारों के जाति-आधारित चयन को असंवैधानिक बताते हुए, तंत्र विद्यालयों से प्रमाणपत्र को मान्यता दी और जातिवाद को धार्मिक स्वतंत्रता का हिस्सा नहीं माना। 

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