हिमाचल के शिमला के धामी गांव में ‘पत्थर मेले’ में आज (मंगलवार) लोगों ने एक-दूसरे पर जमकर पत्थर बरसाए। दो समुदायों के लोगों के बीच करीब 25 मिनट तक पत्थरबाजी होती रही। इसके बाद, धामी के रिटायर SHO सुभाष (60) को एक पत्थर हाथ पर लगा, जिससे उनके खून निकला। फिर इन्हीं के खून से मां भद्रकाली के चबूतरे पर तिलक लगाया गया। शिमला से करीब 30 किलोमीटर दूर धामी गांव में हर साल दिवाली के दूसरे दिन 2 अलग-अलग परगना (एरिया) के लोग एक-दूसरे पर पत्थरों की बरसात करते हैं। यह सिलसिला तब तक चलता है, जब तक किसी पक्ष के किसी एक व्यक्ति का रक्त नहीं निकल जाता। 4 प्वाइंट में समझे कैसे और कब से चली आ रही यह परंपरा ये लोग फेंकते हैं पत्थर धामी में राज परिवार की तरफ से तुनड़ू, जठौती और कटेड़ू परिवार की टोली और दूसरी ओर से जमोगी खानदान की टोली के सदस्य पत्थर बरसाते हैं। अन्य लोग पत्थर मेले को देख सकते हैं, लेकिन वे पत्थर नहीं मार सकते। खेल में चौराज गांव में बने सती स्मारक के एक तरफ से जमोगी और दूसरी तरफ से कटेड़ू खानदान के लोग पथराव करते हैं। मेले की शुरुआत राज परिवार के नरसिंह के पूजन के साथ होती है। सदियों से चली आ रही परंपरा पत्थर मारकर किसी को घायल करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है और आज के विज्ञान के युग में भी लोग इसका बखूबी निर्वहन कर रहे हैं। इसमें क्षेत्र के सैकड़ों लोग शामिल होते हैं और दूर-दूर से भी लोग इसे देखने धामी पहुंचते हैं। यहां देखे पत्थरबाजी के PHOTOS…

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