शिमला जिले के रामपुर में हिमाचल दुग्ध उत्पादक संघ ने एक प्रेस वार्ता आयोजित की। इसमें प्रदेश के दुग्ध उत्पादकों की गंभीर आर्थिक स्थिति को लेकर सरकार पर तीखा प्रहार किया गया। संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि पिछले दो महीनों से दूध उत्पादकों को उनके दूध का भुगतान नहीं मिला है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है और किसान संकट में हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में हजारों किसान दूध उत्पादन पर निर्भर हैं। भुगतान न मिलने के कारण उन्हें घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है। नवरात्र, दशहरा और करवा चौथ जैसे त्योहार बीत जाने के बावजूद किसानों के खातों में दूध का पैसा नहीं पहुंचा है। पशुपालक दूध आपूर्ति बंद करने और पशु बेचने पर विचार कर रहे हैं दूध उत्पादकों ने बताया कि पशुपालन में चारा, दवाइयों और देखभाल की लागत लगातार बढ़ रही है। इस स्थिति के कारण कई पशुपालक अब दूध की आपूर्ति बंद करने या अपने पशु बेचने पर विचार कर रहे हैं। यह स्थिति न केवल किसानों बल्कि पूरे दुग्ध उत्पादन तंत्र के लिए चिंताजनक है। संघ के पदाधिकारियों प्रेम चौहान, सुभाष ठाकुर, तुला राम शर्मा और दीप कनेन ने सरकार से तत्काल हस्तक्षेप कर किसानों का बकाया भुगतान जारी करने की मांग की। उन्होंने मुख्यमंत्री और मिल्क फेड चेयरमैन से भुगतान में देरी का स्पष्टीकरण मांगा। 30 अक्टूबर को ब्लॉक स्तर पर प्रदर्शन की चेतावनी संघ ने चेतावनी दी है कि यदि समस्या का शीघ्र समाधान नहीं किया गया, तो 14 अक्टूबर को सभी ब्लॉकों में एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा जाएगा। इसके बाद, 30 अक्टूबर को ब्लॉक स्तर पर जोरदार प्रदर्शन किया जाएगा। दूध उत्पादकों ने जोर दिया कि किसानों की मेहनत का सम्मान तभी होगा जब उन्हें उनका हक समय पर मिलेगा। उन्होंने कहा कि दूध उत्पादन ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, और इसे नजरअंदाज करना प्रदेश के विकास के लिए गंभीर खतरा साबित हो सकता है।