हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में पर्यावरण नियमों की अनदेखी कर एक बड़े होटल का निर्माण सामने आया है। मैसर्स आत्मन रिसॉर्ट एंड कॉटेज द्वारा बनाए जा रहे 120 कमरों के इस निर्माण ने प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है। राजस्व विभाग की एक रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि जिस भूमि पर यह विशाल ढांचा खड़ा किया जा रहा है, वह सरकारी रिकॉर्ड में आज भी ‘जंगल’ और ‘खेती योग्य’ (बारानी अव्वल) भूमि के रूप में दर्ज है। नगर निगम के आदेश क्रमांक 1491/MC के तहत तैयार की गई इस रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि रिसॉर्ट प्रबंधन ने पहाड़ी क्षेत्र को काटकर बड़े पैमाने पर भू-परिवर्तन किया है। इससे न केवल क्षेत्र की प्राकृतिक संरचना को नुकसान पहुंचा है, बल्कि भविष्य में भूस्खलन का खतरा भी बढ़ गया है। जानिए- जमीनी हालात इस भूमि का 12,780/16,720 भाग आत्मन रिसॉर्ट एवं ब्लिस 213 (साहिल शर्मा) के नाम दर्ज है, जबकि 4,000/16,720 भाग साधना शर्मा के नाम है। रिपोर्ट का सबसे गंभीर खुलासा यह है कि खसरा नंबर 01 का 01-54-46 हेक्टेयर हिस्सा आज भी रिकॉर्ड में ‘जंगल’ के रूप में दर्ज है। इसी में से लगभग 0-50-00 हेक्टेयर भूमि पर निर्माण कार्य जारी है। रिकॉर्ड में कुछ और मौके पर कुछ और राजस्व रिकॉर्ड और मौके की स्थिति में बड़ा अंतर सामने आया है। खसरा नंबर रिकॉर्ड के अनुसार किस्म मौजूदा स्थिति 01 (आंशिक) जंगल / बंजर कदीम 0-50-00 हेक्टेयर पर निर्माण जारी 05 बारानी अव्वल (खेती योग्य) निर्माण में शामिल 06/1106 चारानी अव्वल (चारागाह) निर्माण में शामिल क्या कहते हैं नियम, किसके तहत हो निर्माण पर कार्रवाई नायब तहसीलदार की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा नायब तहसीलदार मोहम्मद यासीन की रिपोर्ट में भी पुष्टि हुई है कि जिस भूमि पर निर्माण हो रहा है, वह पहले जंगल और चरवाहों के उपयोग की थी। जमाबंदी 2019-20 के अनुसार खसरा नंबर 01 आंशिक रूप से जंगल, खसरा 05 बारानी अव्वल और खसरा 06/1106 चारानी अव्वल दर्ज है। अधिकारी बोले—लैंड यूज चेंज का कोई आवेदन नहीं सवालों के घेरे में विभागों की चुप्पी पर्यटन विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की चुप्पी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह है कि क्या प्रशासन पर्यावरण से खिलवाड़ करने वाले इस निर्माण पर सख्त कार्रवाई करेगा या मामला फाइलों में ही दबकर रह जाएगा।

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