राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी वर्ष समारोह के उपलक्ष्य में रविवार को हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला स्थित दाड़ी मेला मैदान में विजयादशमी कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में तिब्बत निर्वासित सरकार की सुरक्षा मंत्री डोल्मा गायरी ने संबोधित किया उन्होंने दलाई लामा का विशेष संदेश पढ़कर सुनाया। अपने संबोधन में डोल्मा गायरी ने भारत की आज़ादी और आदर्शों की रक्षा को प्रत्येक व्यक्ति का सर्वोच्च कर्तव्य बताया। उन्होंने कहा कि भारत के वीर सपूतों और बेटियों के बलिदान और देशप्रेम की गाथाएं यह याद दिलाती हैं कि आज भी हमारी जिम्मेदारी कम नहीं हुई है। भारत और तिब्बत के आदर्शों के बीच गहरे संबंध तिब्बत सरकार के मंत्री गायरी ने इस बात पर जोर दिया कि यह केवल अतीत की विरासत नहीं है, बल्कि वर्तमान पीढ़ी को भी इसे आगे बढ़ाना है। उन्होंने भारत और तिब्बत के आदर्शों के बीच गहरे संबंध का भी उल्लेख किया, जो दोनों क्षेत्रों की साझा सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जड़ों को दर्शाता है। आरएसएस के शताब्दी वर्ष समारोह से जुड़ी तस्वीरें… दलाई लामा का संदेश भी पढ़कर सुनाया गायरी ने कार्यक्रम में तिब्बती आध्यात्मिक गुरु परम पावन दलाई लामा का संदेश भी पढ़ा गया। अपने संदेश में, दलाई लामा ने आरएसएस की सदियों से चली आ रही राष्ट्र-सेवा की भावना की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि आरएसएस ने भारत की सांस्कृतिक विरासत की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दलाई लामा ने तिब्बती निर्वासित समुदायों को संघ के समर्थन को सराहा दलाई लामा ने दूरदराज के क्षेत्रों में शिक्षा और सामाजिक विकास, आपदा राहत कार्यों में सक्रियता और तिब्बती निर्वासित समुदायों को संघ द्वारा दिए गए समर्थन के लिए भी सराहना की। समारोह में आरएसएस के उत्तर क्षेत्रीय बौद्धिक प्रमुख हरीश सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। RSS केवल संगठन नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण का एक सतत यज्ञ है हरीश ने संघ की एक सदी की यात्रा, उसके आदर्शों और भविष्य की चुनौतियों पर अपने विचार रखे। उन्होंने आरएसएस की भूमिका को एक सामाजिक संगठन के रूप में सम्मानित करते हुए कहा कि यह संगठन राष्ट्र के डीएनए-संविधान, एकता और सार्वजनिक सेवा को सुदृढ़ करने में समर्पित रहा है। उन्होंने ज़ोर दिया कि यह संगठन केवल एक विचारधारा नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण का एक सतत यज्ञ है।