हिमाचल के मंडी में मिड-डे मील वर्कर्स यूनियन ने सरकार की उस नीति का विरोध किया है, जिसमें उन्हें साल में 10 महीने का ही वेतन मिलता है और कोई छुट्टी नहीं मिलती है। इसको लेकर यूनियन निदेशक को ज्ञापन देगी और 26 नवंबर को उपमंडल स्तर पर धरना प्रदर्शन करेगी। इसको लेकर प्रधान बिमला देवी की अध्यक्षता में बैठक हुई। सीटू के जिला प्रधान भूपेंद्र सिंह ने कहा कि मिड डे मील वर्करों को केंद्र से 1 हजार और हिमाचल सरकार से 4 हजार रुपए वेतन मिलते हैं। 15 साल से केंद्र ने कोई वृद्धि नहीं की है। अब वर्करों पर छंटनी की तलवार भी लटक रही है। शर्त लगाकर की जा रही छंटनी अब केंद्र सरकार 25 बच्चों की शर्त लगाकर 20 साल से काम कर रहे वर्करों की छंटनी कर रही है। इसके साथ स्कूलों को मर्ज करके वर्करों को दूसरी जगह भेजा जा रहा है। मर्ज होने पर जिन वर्करों को दूसरे स्कूलों में भेजा गया है, उन्हें मात्र साढ़े तीन हजार रुपए मिल रहे हैं, जबकि अन्य को पांच हजार रुपए मासिक वेतन मिलता है। वर्करों को अन्य पदों पर समायोजित करने की मांग बैठक में प्रस्ताव भी पारित किया गया कि छंटनी को रोका जाए और हर स्कूल में कम से कम दो वर्कर नियुक्त करने की मांग की गई है। बंद या मर्ज हो रहे स्कूलों के वर्करों को चपरासी, वार्ड गार्ड या मल्टीटास्क वर्कर जैसे पदों पर समायोजित किया जाए। दिया जाएगा ज्ञापन इन मांगों को लेकर यूनियन जल्द उपदेशक व निदेशक को ज्ञापन सौंपेगी। साथ ही, 26 नवंबर को उपमंडल स्तर पर धरने आयोजित किए जाएंगे। सीटू के प्रधान भूपेंद्र सिंह, उपप्रधान गुरदास वर्मा, महासचिव राजेश शर्मा सहित तीस कमेटी सदस्यों ने भाग लिया।

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