हिमाचल प्रदेश में सेब सीजन एक महीना पहले शुरू हो गया है। मगर अब तक राज्य सरकार ने मंडी मध्यस्थता योजना (MIS) के तहत सेब लेने के लिए खरीद केंद्र नहीं खोले और न ही रेट तय किए है। बागवानों में इससे सरकार के प्रति रोष पनप रहा है। बता दें कि राज्य सरकार हर साल निम्न क्वालिटी का सेब सरकारी उपक्रम एचपीएमसी और हिमफेड के माध्यम से MIS योजना के तहत खरीदती है। इस सेब से एपल जूस कांसन्ट्रेट या दूसरे उत्पाद तैयार किए जाते है। इसके लिए सेब बहुल क्षेत्रों में हर साल 200 से ज्यादा खरीद केंद्र खोले जाते है। इस साल अब तक खरीद केंद्र तो दूर MIS के तहत सेब के रेट भी तय नहीं किए गए। बीते साल MIS योजना के तहत सरकार ने 12 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बागवानों से सेब खरीदा गया है। इस साल रेट तय करना बाकी है। ओलावृष्टि से दागी सेब को लेकर बागवान चिंतित प्रदेश में इस बार ओलावृष्टि से सेब की फसल को बड़ा नुकसान हुआ है। बागवान हर साल ओलावृष्टि से दागी और आकार में छोटे सेब को MIS योजना के तहत सरकारी उपक्रम एचपीएमसी और हिमफेड को बेचते हैं, लेकिन इस बार 23 जुलाई को भी रेट तय नहीं किए गए। जबकि 5000 फीट तक की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अब सेब सीजन खत्म होने जा रहा है। बागवान का सरकार से आग्रह, जल्द खोले जाए खरीद केंद्र शिमला जिला के देहा के बागवान अजय ठाकुर ने राज्य सरकार से जल्द MIS योजना के तहत सेब खरीद के लिए रेट तय करने का आग्रह किया है। ठियोग के प्रगतिशील बागवान महेंद्र वर्मा ने बताया कि इस बार ज्यादातर सेब ओलावृष्टि की वजह से दागी है। ऐसा सेब बागवान MIS योजना के तहत सरकार को ही बेचते है, लेकिन इस बार सरकार ने अब तक खरीद केंद्र खोलने की जहमत नहीं उठाई।