हिमाचल के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि वह वीरभद्र सिंह को श्रेष्ठ मनुष्य के रूप में देखते हैं। वीरभद्र ने जब भारत में कही भी धर्मांतरण कानून नहीं था, तब हिमाचल में धर्मांतरण के खिलाफ कानून पारित किया। राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल की पवित्रता और संस्कृति को बचाने के लिए वीरभद्र सिंह हमेशा प्रयासरत रहे। आज वह देवभूमि की परंपराओं का पालन करने वाले व्यक्ति के घर रामपुर पहुंचे हैं। दरअसल, हिमाचल के 6 बार के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की आज चौथी पुण्यतिथि है। इस मौके पर रामपुर के पदम पैलेस में कार्यक्रम रखा गया है। यहां पर राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर समेत कई बड़ी हस्तियां व नेता पहुंचे हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का भी रामपुर जाने का कार्यक्रम है। रामपुर में वीरभद्र सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए प्रदेशभर से सैकड़ों लोग पहुंचे हैं और उनके कार्यों को याद कर रहे हैं। बीडी शर्मा बोले- गरीबों को देखकर वीरभद्र की आंखें नम होती थी हिमाचल के पूर्व एवं रिटायर सूचना एवं जन संपर्क अधिकारी तथा लंबे समय तक वीरभद्र सिंह के साथ काम करने वाले बीडी शर्मा ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र के कई किस्से उन्हें याद आते हैं। उन्होंने बताया कि वीरभद्र सिंह जब भी किसी गरीब से मिलते थे, तो उनकी आंखें नम हो जाती थी। वीरभद्र सिंह हमेशा गरीबों के काम को तवज्जो देते थे। उन्होंने असंख्य गरीबों की मदद की है। सेक्रेटरी को तवज्जो न देकर बाबू की नोटिंग को महत्व देते थे: शर्मा बीडी शर्मा ने बताया कि वीरभद्र सिंह की बड़ी खासियत यह थी कि वह कई बार फाइल पर सेक्रेटरी की लिखी बात को तवज्जो न देकर निचले स्तर के कर्मचारी की बात को भी ज्यादा महत्व देते थे। उन्होंने बताया कि यदि किसी फाइल पर निचले लेवल के किसी अधिकारी व कर्मचारी ने प्रदेश हित में कोई बात लिखी होती, तो वह सेक्रेटरी की प्रतिक्रिया को भी नजरअंदाज कर देते थे। उन्होंने बताया कि वीरभद्र सिंह रोजाना सुबह तीन-चार बजे उठकर सभी फाइल पढ़ते थे। इसी वजह से वह सही फैसले कर पाते थे। अफसरशाही भी इसी वजह से वीरभद्र सिंह से खौफ खाती थी। उन्होंने बताया कि हेरिटेज बिल्डिंग आज शिमला की पहचान है। इन भवनों को बचाने में वीरभद्र सिंह का बड़ा योगदान है। उनकी बदौलत आज पीटरहॉफ, बैंटनी कैसल जैसी हैरिटेज इमारतें बची हुई हैं।

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