चंडीगढ़ से लेह जाने के लिए तीसरी सड़क बन रही है। यह सड़क है 298 किमी. लंबी निम्मो पदम-दारचा रोड। यह लेह के लिए पहली ऑल वेदर रोड होगी, यानी हर मौसम में खुली रहेगी। चंडीगढ़ से जाएंगे तो पहले आएगा दारचा, फिर जंस्कार और निम्मो होते हुए सीधा लेह। अभी लेह के लिए चंडीगढ़ से जम्मू, श्रीनगर, द्रास, कारगिल होते हुए जाते हैं या चंडीगढ़ से मनाली, केलांग, दारचा, डेबरिंग, रूम्से होते हुए लेह जा सकते हैं। ये दोनों ही रास्ते 120 से 340 किमी. लंबे हैं और सर्दियों में बंद हो जाते हैं। निम्मो-पदम-दारचा रोड लेह जाने का तीसरा, लेकिन सबसे तेज और सहूलियत भरा रास्ता होगा। बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन वर्ष 2022 से इस सड़क को बना रहा है। अभी सड़क कच्ची ही है। कंक्रीट बिछाई जानी है, लेकिन ट्रायल शुरू हो चुका है। हर बुधवार और रविवार को गाड़ियों को आने-जाने की परमिशन दी जा रही है। यह सड़क टूरिज्म, ट्रांसपोर्टेशन और आर्मी के लिए काफी फायदेमंद साबित होगी और जंस्कार वैली की इकोनॉमी को भी बेहतर करेगी। पदम में रहने वाले 83 वर्ष के पद्मश्री लामा छोंजोर लद्दाख के दशरथ मांझी के तौर पर जाने जाते हैं। उनकी पहल से ही इस ऑल वेदर रूट की नींव पड़ी। पहाड़ों को काटकर बनाई गई है सड़क
यह सड़क करीब 90 किलोमीटर तक जंस्कार नदी के साथ साथ चलती है। लोअर रेंज में इस सड़क को पहाड़ों को काटकर बनाया गया है। सड़क के ज्यादातर हिस्से बर्फ पड़ने से प्रभावित नहीं होंगे। लोअर रेंज के कारण बर्फ यहां कम पड़ती है। पहाड़ काटकर छोंजोर ने बनाई सड़क
लामा छोंजोर की पहल से ही इस ऑल वेदर रूट की नींव पड़ी। छोंजोर बताते हैं- पदम से लेह पैदल ही जाते थे, 6-7 दिन लगते थे। पदम से मनाली के लिए भी 5-6 दिन लगते थे। बच्चों की हायर स्टडी, बीमार के लिए समस्या थी। मैंने शिंकुला से करजाक गांव तक सड़क बनाने की ठानी। लोग कहते थे जो काम सरकार नहीं कर पाई यो ये लामा क्या कर पाएगा? लेकिन अपनी कमाई से दुर्गम पहाड़ काटकर 38 किलोमीटर लंबी सड़क बना डाली। पहाड़ काटने के लिए अपना घर-जमीन बेचकर 57 लाख रुपए में मशीनें खरीदी। साथ ही टिप्पर, जेसीबी मशीन और 5 खच्चर भी खरीदने पड़े। 2 ऑपरेटर हायर किए। मैंने भी सड़क बनाने के लिए 24-24 घंटे काम किया। इसमें 4 साल लग गए, लेकिन आसपास के करीब 30 गांवों को कनेक्टिविटी मिल गई। अब लेह के लिए नई राह इसी सड़क की बदौलत खुली है।
