हिमाचल प्रदेश के प्राइमरी टीचर संघ (PTF) ने शिक्षा विभाग को नोटिस देकर ऑनलाइन काम बंद करने की चेतावनी दी है। PTF ने इसके लिए विभाग को 15 दिन का टाइम दिया है। तय अवधि में यदि स्कूलों में ब्रॉडबैंड और सिम कार्ड मुहैया नहीं कराए गए तो प्राइमरी टीचर प्रदेशभर में ऑनलाइन काम बंद करेंगे। PTF के अध्यक्ष जगदीश शर्मा ने कहा कि ज्यादातर स्कूलों में टैब खराब पड़े हैं। स्कूलों में ब्राडबैंड की सुविधा नहीं है। इंटरनेट चलाने के लिए टीचरों को सिम कार्ड मुहैया कराए जाएं। ऐसा नहीं किया गया तो प्राइमरी टीचर पूरे प्रदेश में ऑनलाइन काम बंद करेंगे। उन्होंने कहा कि विभाग को इसके लिए नोटिस दे दिया गया है। उन्होंने कहा, प्राथमिक शिक्षक तानाशाही रवैये के आगे नहीं झुकेंगे। यदि सरकार बातचीत को बुलाती है तो वह वार्ता के लिए तैयार है। पीटीएफ ने 26 नवंबर का धरना भी नोटिस के बाद दिया है। किसी भी शिक्षक ने किसी का रास्ता नहीं रोका, इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग मौजूद है। फिर विभाग ने शांतिपूर्वक धरना दे रहे टीचरों पर एफआईआर करवाई है। 10 टीचरों को सस्पेंड कर चुका विभाग प्रदेशभर के प्राइमरी टीचर शिक्षा निदेशालय के पुनर्गठन के अलावा कुछ अन्य मांगों को लेकर एक सप्ताह से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे हुए हैं। बीते 26 अप्रैल को इन्होंने शिक्षा विभाग की चेतावनी के बावजूद शिमला के चौड़ा मैदान में धरना दिया। इसके बाद विभाग ने 10 टीचरों को सस्पेंड कर दिया। अब धरने में शामिल सभी टीचरों की लिस्ट तैयार की जा रही है और इनका एक दिन का वेतन काटा जाएगा। धरने के दौरान सरकार और अधिकारियों को निशाने पर लेने वाले टीचरों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा रही है। 22 हजार से ज्यादा प्राइमरी टीचर प्रदेश में लगभग 22 हजार प्राइमरी टीचर हैं। इनका कहना है कि निदेशालय के गठन के दौरान उन्हें विश्वास में नहीं लिया। आरोप लगाया कि निदेशालय के गठन से पहले कई बार शिक्षकों के साथ शिक्षा मंत्री और शिक्षा सचिव ने मीटिंग की, लेकिन एक भी मीटिंग की प्रोसिडिंग सार्वजनिक नहीं की गई। इससे उन्हें डर है कि निदेशालय के पुनर्गठन से उनके हकों के साथ खिलवाड़ हो सकता है। अब शिक्षक मांगे पूरी नहीं होने तक हड़ताल खत्म करने को तैयार नहीं हैं। संविधान देता है हड़ताल का अधिकार- हीरालाल वहीं, हिमाचल के कर्मचारी नेता हीरा लाल वर्मा ने बताया कि संविधान का अनुच्छेद-19(1) कर्मचारियों को यूनियन बनाने और बेहतर कार्य स्थितियों की वकालत करने का अधिकार देता है। यह यूनियन के पदाधिकारियों को सामूहिक रूप से अपनी मांगों को उठाने और उनका समर्थन करने तथा एकत्रित होकर अपने विचार व्यक्त करने और सरकार की नीतियों की आलोचना करने की स्वतंत्रता देता है, जो उनकी कार्य स्थितियों को प्रभावित करती है।

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