हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी और धर्मशाला के पूर्व एसडीएम संजीव कुमार भोट ने ऐच्छिक सेवानिवृत्ति (वॉलंटरी रिटायरमेंट) का आवेदन दिया है। उन्होंने मुख्य सचिव को भेजे आवेदन में प्रशासन पर कई आरोप लगाए हैं। संजीव भोट ने कहा कि पिछले ढाई सालों में उनका चार बार तबादला किया गया। इससे वे मानसिक रूप से परेशान हो गए। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह दूसरा विमल नेगी नहीं बनना चाहते। लाहौल-स्पीति के रंगरिक गांव के रहने वाले भोट ने 25 सालों से ज्यादा समय तक प्रशासन में सेवा की। उन्होंने किन्नौर, भरमौर, डोडरा क्वार और धर्मशाला जैसे जनजातीय और दुर्गम क्षेत्रों में काम किया। भोट ने इन तबादलों को नौकरशाही की राजनीति बताया। तहसीलदार के रूप में अपना करियर शुरू किया
संजीव भोट ने 1998 में नायब तहसीलदार के रूप में अपना करियर शुरू किया। उन्होंने काजा, किन्नौर और धर्मशाला में तहसीलदार के रूप में काम किया। उनकी पत्नी जेबीटी अध्यापिका हैं। परिवार में दो बेटियां और एक बेटा है। भोट ने कहा कि सरकार से उन्हें कोई शिकायत नहीं है। लेकिन कुछ अफसरों के व्यवहार से वे दुखी हैं। उन्होंने यह फैसला अपने आत्मसम्मान और परिवार की शांति के लिए लिया है। उन्होंने कहा कि अगर उनसे कोई गलती हुई है तो उसे बताया जाए।

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