देहरा के सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन (CWC) गोदाम में एक बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। हिमाचल के सस्ते राशन डिपो में वितरण के लिए लाया गया 87 मीट्रिक टन चावल गुणवत्ता जांच में फेल हो गया है। यह चावल पंजाब के एक सेलर से सीधे खरीदा गया था। फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) की जांच में चावल के सैंपल में गड़बड़ी मिली है। इस मामले में ट्रक यूनियन खबली दोसड़का के सेक्रेटरी और कांग्रेस नेता महिंद्र चौहान ने बड़ा आरोप लगाया है। उनका कहना है कि यह वही चावल हो सकता है, जो पहले इसी गोदाम से बेचा गया था। उन्होंने आशंका जताई कि 2022 और 2023 के पुराने स्टॉक को नए बोरों में पैक कर बेचा जा रहा है। विभागीय अधिकारियों ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है। FCI के प्रबंधक और तकनीकी अधिकारी ने बयान देने से मना कर दिया है। FCI के डीएम तपस रंजन सेठी ने इसे महज विभागीय मामला बताकर टाल दिया। अब गोदाम में नई व्यवस्था लागू की गई है। चावल को पहले गोदाम के बाहर उतारा जा रहा है। सैंपल पास होने के बाद ही उसे अंदर रखा जा रहा है। खाद्य आपूर्ति निगम के मनोनीत निदेशक पुष्पेंद्र ठाकुर ने कहा कि यह मामला उनके ध्यान में है। वैसे यह मामला एफडीआई का है। इसलिए उनके अधिकारी जांच कर रहे हैं। जो खराब चावल होगा उसे वापिस किया जाएगा जो सही होगा उसे ही लिया जाएगा। खाद्य आपूर्ति निगम यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी उपभोक्ता को खराब राशन न मिले। ट्रांसपोर्टरों को आर्थिक नुकसान हुआ
इस नई व्यवस्था से रखरखाव का खर्च बढ़ गया है। ट्रक मालिक अनिल के अनुसार उनकी गाड़ी को तीन दिन तक खाली नहीं किया गया, जिससे ट्रांसपोर्टरों को आर्थिक नुकसान हुआ है। खराब चावल को अब वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस पूरे मामले में अधिकारियों और सेलर मालिकों की मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है। महिंद्र चौहान ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और देहरा विधायक कमलेश ठाकुर से इस पूरे मामले में कड़ा संज्ञान लेने की मांग की है। उनका कहना है कि यह मामला केवल चावल की गुणवत्ता का नहीं, बल्कि सरकारी योजनाओं को नाकाम करने की साजिश है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ अधिकारी हिमाचल में ऑर्गेनिक खेती और किसान योजनाओं को असफल करने में लगे हैं।

Spread the love