हिमाचल के मंडी में रविवार को सीटू की दो दिवसीय राज्य कमेटी की विस्तारित बैठक संपन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता विजेंद्र मंहरा ने की, जबकि हिमाचल के प्रभारी केएन उमेश और डा. कश्मीर सिंह ठाकुर बैठक में विशेष तौर पर उपस्थित हुए। बैठक में संबोधन करते हुए केएन उमेश ने कहा कि केंद्र सरकार की नीतियों के कारण कारपोरेट घरानों का लाभ, कुल लाभ में से आजादी के बाद पहली बार पचास प्रतिशत से अधिक हो गया है और मज़दूरों का हिस्सा कम हुआ है। केंद्र सरकार ने कारपोरेट घरानों के लाभ को और बढ़ाने के उद्देश्य से श्रम कानूनों को ख़त्म करके चार संहिताओं में बदल दिया है, लेकिन उसे वे आगामी नए वित्त वर्ष से लागू करने की योजना बना रहे हैं। ऐसा होता है तो उस स्थिति में मजदूर यूनियनें राष्ट्रव्यापी हड़ताल की जाएगी। नहीं दिया जा रहा न्यूनतम वेतन उन्होंने कहा कि, पचास प्रतिशत में प्रदेश सरकार विभिन्न विभागों में ठेका व आउटसोर्स आधार पर भर्तियां करने की नीति लागू कर रही है और उन्हें निर्धारित न्यूनतम वेतन भी अदा नहीं किया जा रहा है। अब दस-बारह साल से काम कर रहे मज़दूरों की छंटनी की जा रही है। इसलिए इनके लिए स्थाई नीति बनाई जाए। सरकार ने अनुबंध समयावधि का वित्तीय लाभ न देने के लिए हाईकोर्ट के फैसले को निरस्त करने के लिए लाए अध्यादेश का भी विरोध किया है। इसके अलावा आंगनवाड़ी, मिड डे मील और आशा वर्करों को सरकारी कर्मचारी घोषित करने, रेहड़ी फड़ी वालों, राष्ट्रीय उच्च मार्गों, फोर लेन,रेलवे मजदूरों को श्रम कानूनों के अनुरुप वेतनमान व सुविधा देने की भी मांग की गई है। मनरेगा में 200 दिन और 400 रुपए दिहाड़ी देने की भी मांग की गई। बैठक में विजेंद्र मेहरा, प्रेम गौतम, भूपेंद्र सिंह, राजेश शर्मा, राजेश ठाकुर, कुलदीप डोगरा, अजय डुलता, जगत राम, नीलम, बिमला, स्वदेश,जोगिन्दर, रंजन, अशोक कटोच,केवल कुमार, विजय शर्मा, सुदर्शना, सुरेंद्र, गुरुदास, गोपेंद्र, नरेंद्र, राकेश इत्यादि ने भाग लिया।

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