हिमाचल प्रदेश में वेस्टर्न डिस्टरबेंस (WD) एक्टिव होने से पहले ही कमजोर पड़ने लगा है। मौसम विभाग के 3 दिन पहले के बुलेटिन के हिसाब से 22 से 24 नवंबर तक चार जिले चंबा, कांगड़ा, लाहौल स्पीति और कुल्लू के अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बारिश-बर्फबारी का पूर्वानुमान था। मगर ताजा बुलेटिन में अब 23 नवंबर को ही अधिक ऊंचे क्षेत्रों में हल्की बारिश बर्फबारी हो सकती है। इससे 51 दिन से चला आ रहा ड्राइ-स्पेल टूटने के आसार नहीं है। प्रदेश में पोस्ट मानसून सीजन में एक अक्टूबर से 21 नवंबर तक सामान्य से 98 प्रतिशत कम बादल बरसे है। अक्टूबर माह में 6 जिलों में हल्की बूंदाबांदी जरूर हुई है। मगर नवंबर के 21 दिन में किसी भी जिला में पानी की बूंद तक नहीं बरसी। इससे पहले मानसून सीजन में भी इस बार सामान्य से 19 प्रतिशत कम बारिश हुई है। राज्य में बनने लगे सूखे जैसे हालात प्रदेश में इससे सूखे जैसे हालात बनने लगे हैं। प्रदेश के किसानों पर इसकी सबसे ज्यादा मार पड़ी है। सूखे की वजह से किसान गेंहू की बुवाई नहीं कर पाया। प्रदेश में गेंहू की फसल 3.26 लाख हेक्टेयर जमीन पर होती है। मगर इस बार मुश्किल से 37 प्रतिशत जमीन पर ही किसान गेंहू की बुवाई कर पाए हैं। अब गेंहू की बुवाई का उचित समय भी बीत गया है। मध्यम ऊंचाई वाले इलाकों में 1 नवंबर तथा मैदानी इलाकों में 15 नवंबर तक गेंहू की बुवाई हो सकती है। शिमला के रिज पर घूमते हुए पर्यटक अगले 25 दिन अच्छी बारिश-बर्फबारी के आसार नहीं मौसम विभाग के अनुसार, अगले 25 दिन तक भी अच्छी बारिश व बर्फबारी के आसार नहीं है। 23 नवंबर को भी हल्की बारिश-बर्फबारी के आसार है। इससे अभी ड्राइ स्पेल टूटने की कम उम्मीद है। बिन बरसे लद्दाख की ओर गए WD मौसम विज्ञानी शोभित कटियार ने बताया कि मानसून के बाद इस बार WD ही नहीं बना पा रहे। जो WD एक्टिव हुए है, वह हिमाचल के टच किए बगैर लद्दाख की ओर गए है। यही वजह है कि प्रदेश में इस बार कम बारिश हुई है।