छठ महापर्व का शुरुआत नहाय खाय से होती है और उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद समाप्त होती है। जो कि 5 नवंबर से शुरू हुई थी और समापन 8 नवंबर को यानी आज उगते सूर्य को अर्घ्य देने से हुई। हिंदू धर्म में यह दिन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन व्रती महिलाएं सुबह उगते हुए सूर्य को नदी के घाट पर जाकर अर्घ्य देती हैं। इसके साथ ही छठी मैया और सूर्य भगवान की आराधना भी करती हैं और अपनी संतान की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं। छठ पर्व पर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व
छठ पर्व में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि सूर्य को जीवन का कारक माना जाता है। वह सौरमंडल का केंद्र है और सभी ग्रहों को प्रकाश और ऊर्जा प्रदान करता है। छठ पूजा पर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर भक्तजन सूर्य देवता से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और अपने जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करते हैं। मान्यता है कि सूर्य देव की उपासना से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है और संतान को लंबी आयु व स्वस्थ जीवन का भी आशीर्वाद मिलता है। कैसे करें व्रत का पारण
छठ के आखिरी दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद घाट पूजन जरूर करें। उसके बाद छठ माता को चढ़ाया गाया प्रसाद सभी में बाटें। ऐसी मान्यता है कि प्रसाद जितना ज्यादा बांटा जाएं, व्रत का शुभ परिणाम तभी मिलता है। उसके बाद छठ पूजा का व्रत खोलने से पहले पूजा में चढ़ाए प्रसाद जैसे कि ठेकुआ, मिठाई आदि ग्रहण करें। व्रत का पारण कभी भी मसालेदार भोजन करके नहीं करना चाहिए। इससे सेहत भी बिगड़ जाती है और व्यक्ति को व्रत का पूरा फल नहीं मिल पाता है।