हिमाचल प्रदेश के 1100 से ज्यादा सरकारी स्कूलों में वोकेशनल सब्जेक्ट की पढ़ाई पूरी तरह ठप पड़ी हुई गई। जिन टीचर ने प्रदेश के हजारों छात्रों को व्यवसायिक शिक्षा देनी थी, वो आज खुद ही सड़कों पर जूतों की पॉलिश करने पर मजबूर हैं। दरअसल वोकेशनल टीचर्स स्थायी नीति की मांग को लेकर शिमला में तीन दिन से प्रदर्शन कर रहे है। यह टीचर्स सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों को बाहर करने की मांग कर रहे है। इसी मांग को लेकर वोकेशनल टीचरों का शिमला के चौड़ा मैदान में तीन दिनों से प्रदर्शन जारी है। बुधवार को प्रदर्शन का स्वरूप बदल गया है। व्यवसायिक शिक्षकों ने आंदोलन को उग्र कर दिया है। शिक्षकों ने सरकार व विभाग का ध्यान आकर्षित करने के लिए तीसरे दिन जूते पॉलिश,राहगीरों से चंदा मांगने के साथ गाड़ियां साफ कर अपना विरोध जाहिर किया। क्या मांग कर रहे शिक्षक…? हिमाचल के वोकेशनल टीचर हरियाणा व उसी तरह के अन्य राज्यों की तर्ज पर उन्हें शिक्षा विभाग के अधीन लाने की मांग कर रहे हैं। अभी इनकी सेवाएं कंपनियों के माध्यम से ली जा रही है, जो कि मोटी रकम कमीशन के तौर पर लेती है। टीचरों का आरोप है कि कंपनियां व्यवसायिक शिक्षकों का शोषण कर रही हैं। व्यवसायिक शिक्षक संघ के महासचिव नीरज बंसल ने कहा कि प्रदर्शन तीन दिनों से जारी है। उन्होंने कहा कि आज शिक्षकों ने जूते पालिश व लोगों से चंदा मांग कर अपना विरोध जाहिर किया है। उन्होंने कहा कि अभी तक सरकार का कोई नुमाईंदा उनसे बातचीत के लिए नहीं आया है। लेकिन अभी उनका एक प्रतिनिमण्डल शिक्षा मंत्री से मिलने जा रहा है। उन्होंने वार्ता के लिए बुलाया है। महासचिब ने स्पष्ट किया है कि यदि सरकार या शिक्षा मंत्री उनकी मांगों का लिखित में जवाब नही देती तो विरोध प्रदर्शन आगे भी जारी रहेगा। आश्वासन पर बात नहीं बनेगी।

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