कुल्लू में बहुचर्चित भूतनाथ पुल खराहल घाटी को जोड़ता है। कुल्लू बस अड्डा से जोड़ने के लिए इस पुल का शिलान्यास तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने किया और धूमल सरकार ने निर्माण पूरा कराया। जय राम सरकार के दौरान दिसंबर 2018 में पुल पर दरार पड़ने से असुरक्षित घोषित कर दिया। वाहनों की आवाजाही बंद कर दी गई। इसके बाद मिशन चंद्रमा भी पूर्ण हो गया। लेकिन इस पुल की मरम्मत नहीं हो सकी। विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने पुल के मुद्दे को जनता के बीच जमकर भुनाया। सत्ता में आने पर पुल के पास गेट भी बनाया और मरम्मत भी 2023 में पूर्ण की। लेकिन अब तक छोटे वाहन ही इस पुल से गुजरते हैं। बड़े वाहनों के लिए यह पुल 6 सालों से बहाल नहीं हो सका। 10 करोड़ की लागत से हुआ पुल का निर्माण कुल्लू जिले में ब्यास नदी पर 10 करोड़ रुपए की लागत से पुल का निर्माण किया है। पुल के झुके स्थान पर पिलर लगाकर मरम्मत का कार्य किया गया। इससे पहले पुल के साथ पुराना पुल खराहल को जोड़ता था। 96 मीटर लंबा डबल लेन नया भूतनाथ पुल बीच में झुक गया था। झुकी हुई जगह पर पिलर देकर ही इसकी मरम्मत की। फ्रांस की फ्रेशनेट मिनाट कंपनी ने यह हल निकाला था। 2.68 करोड़ रुपए से हुई मरम्मत डबल लेन भूतनाथ पुल की 2.68 करोड़ रुपए से मरम्मत कार्य फ्रांस की फ्रेशनेट मिनाट इंडिया इंटरनेशनल कंपनी ने की। मरम्मत के बाद इस पुल पर छोटे वाहन ही चल सके। बड़े वाहनों पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। बाहर से वॉल्वो बसें गुजरने से यात्रियों को परेशानी पुल पर बड़े वाहनों की आवाजाही बन्द होने और आखाड़ा बाज़ार सड़क वन वे करने से मनाली चलने बाली वॉल्वो बसें लेफ्ट बैंक सड़क मार्ग से गुजरती हैं। यात्रियों को शनि मंदिर के पास अंधेरे में इंतजार करने से परेशानी झेलनी पड़ती है।

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