जिला शिमला के रामपुर में अंतर्राष्ट्रीय लवी मेले का आगाज आज भी स्पीति नस्ल के नाम से मशहूर चामुर्थी घोड़ों के व्यापार से होता है। चामुर्थी घोड़े अपनी छोटी कद-काठी और सुडौल शरीर के कारण जाने जाते हैं। स्पीति नस्ल के नाम से मशहूर चामुर्थी घोड़े पहाड़ी क्षेत्रों के जहाज माने जाते हैं। बर्फ, पहाड़ी ढलानों और उबड़ खाबड़ रास्तों पर चलने में चामुर्थी घोड़ा सक्षम है, जबकि देश में पाये जाने वाले अन्य नस्लों के घोड़ों को पहाड़ी ढलानों और उबड़ खाबड़ रास्तों पर चलना काफी मुश्किल भरा रहता है। आज भी चामुर्थी घोड़ों के चाहवान प्रदेश सहित देश के विभिन्न हिस्सों से लवी मेले में घोड़ों की खरीद के लिए पहुंचते हैं। देश के अन्य राज्यों और क्षेत्रों में पाई जाने वाली काठियावाड़ी नस्ल के घोड़ों की अपेक्षा चामुर्थी घोड़ा अधिक भार उठाने और कठिन भोगौलिक परिस्थितियों में आसानी से चल पाता है। वर्ष 1984 से इस मेले में अश्व प्रदर्शनी
अंतर्राष्ट्रीय लवी मेले से पहले 4 से 6 नवंबर तक रामपुर पाटबंगला मैदान में अश्व प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है। 4 और 5 को घोड़ों का पंजीकरण और 6 नवंबर को घोड़ों के लिए 400 और 800 मीटर घुड़दौड़, गुब्बारा फोड़ जैसे प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है। पशु पालन विभाग द्वारा यहां आने वाले घोड़ों के लिए चारे, पानी और स्वास्थ्य जांच जैसी सुविधाएं दी जाएंगी। साथ ही पशु पालकों के लिए संगोष्ठी का भी आयोजन किया जाएगा। वही पशु पालन विभाग के वरिष्ठ डॉ. अनिल शर्मा ने बताया कि लवी मेले में चामुर्थी घोड़ा आकर्षण का मुख्य केंद्र रहता है। हर वर्ष 4 से 6 नवंबर तक अश्व प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है।