शिव की नगरी छोटी काशी मंडी में अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद पहली मिनी कुंभ लगने जा रहा है। इसमें देशभर के करीब 400 संतों का आगनन होगा। यह समय मंडी के लिए ऐतिहासिक होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति को मिनी कुंभ में शामिल होने के लिए निमंत्रण दिया गया है। 6 से 14 नवंबर तक हो रहे श्रीरामार्चा महायज्ञ महोत्सव को लेकर प्रदेश के 80 मंदिरों, मंदिरों कमेटियों और क्षेत्र के देवताओं, प्रशासनिक अधिकारियों को निमंत्रण पत्र प्रदान कर दिए गए हैं। यह बात आयोजक महंत स्वामी राजेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि इस महायज्ञ का उद्देश्य विश्व कल्याण व जन कल्याण की शांति के लिए है। जिसे लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी सहित सभी राजनीतिक दलों के अध्यक्षों को निमंत्रण पत्र भेजे गए हैं। इसके साथ ही हिमाचल के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल, मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू, उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर और सभी राजनीतिक पार्टियों के पदाधिकारियों को निमंत्रण पत्र भेजे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह हिमाचल प्रदेश का पहला श्रीरामार्चा महायज्ञ है। इसमें देशभर से 400 संत भाग ले रहे हैं। जगदगुरु रामानंदाचार्य उपस्थित रहेंगे इस महायज्ञ में राम कथा मानस पीठाधीश्वर जगदगुरू रामानंदाचार्य स्वामी रामलल्ला महाराज मानस पीठ खजूरी ताल मध्य प्रदेश व मुख्यातिथि आचार्य महामंडलेश्वर निर्वाण पीठाधीश्वर राजगुरू श्री श्री 1008 स्वामी विशोकानंद भारती महाराज भी शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि यज्ञ स्थल को 12 ब्लॉक में बांटा गया है, जिसमें गौशाला, जिसमें देशी गाय के दर्शन और पूजन होगा। वेद उपनिषिद व पुराण की कुटिया, अखंड नाम संकीर्तन कुटिया, अखंड धूना, यज्ञशाला, कथा पंडाल व भोजनशाला होगी। महंत राजेश्वरानंद सरस्वती ने 98 लाख के करीब विभिन्न देव अवतारों के चित्र श्री रामनाम से उकेरे है। इसके साथ ही विभिन्न भक्तों द्वारा भी करोड़ों नाम लेखन किया गया है। इन चित्रों की प्रदर्शनी भी कार्यक्रम के दौरान लगाई जाएगी।इसके साथ ही 100 वॉलिंटियर्स दिन रात इस महायज्ञ में अपनी सेवाएं प्रधान करेंगे। राम का नाम लिखने से मिलता है अधिक पुण्य महंत राजेश्वरानंद सरस्वती ने बताया कि कलयुग केवल नाम अधारा और धारा अधारा सुमिरि सुमिरि नर उतरिहिं पारा अर्थात आनंद रामायण में कहा है कि राम नाम जप की अपेक्षा 100 गुना अधिक पुण्य राम नाम लिखने से मिलता है। राम नाम ही बहुत कुछ है। इसके साथ ही इसको करवाने वाले के साथ साथ देखने वाले, इसमें भाग लेने वाले और इसके प्रसाद का एकमात्र कण ग्रहण करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होने के साथ मुक्ति के द्वार खुल जाते हैं। देशभर से ज्ञानियों में अग्रगण्य और ईश्वर अंश संतजनों के दर्शन और वंदन आदि से प्रारब्ध भी बदल जाता है। प्रारब्ध को ईश्वर भी नहीं बदल सकता है, लेकिन संत बुरे प्रारब्ध का नाश करने में समक्ष होते हैं। जो मनुष्य अधिक से अधिक एक वर्ष तक संत दर्शन नहीं करता उसका जीवन ही निष्फल है। महंत राजेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि सूर्य का प्रकाश, चंद्रमा की शीतलता राम नाम ही है। रावण जैसे राक्षस के मुख से भी अंतिम समय में श्रीराम नाम निकला और उसकी मुक्ति हो गई।