{अनुरंजनी गौत्तम -शिमला } पूर्व की भाजपा सरकार द्वारा आपातकाल में जेलों में बंद रहे लोगों के लिए शुरू की गई लोकतंत्र प्रहरी योजना को हिमाचल की सुक्खू सरकार ने बंद कर दिया है। इसको लेकर सरकार ने सोमवार को विधानसभा सदन में विधेयक लाकर कानून को निरस्त कर दिया है। योजना के तहत आपातकाल में जेलों में बंद रहे लोगों को पूर्व सरकार ने 20000 और 12000 मासिक पेंशन देने का निर्णय लिया था, जिसको वर्तमान सरकार ने बंद कर दिया है।योजना को बंद करने के लिए लाए गए विधेयक का सदन में विपक्ष एनआर विरोध किया। कहा कि आपातकाल के समय में देश की कांग्रेस सरकार ने लोकतंत्र का गला घोंट दिया था। जिन लोगों ने इस निर्णय के खिलाफ आवाज़ उठाई उनको जेलों में डाल दिया गया। प्रेस जो की लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है, उसे भी लिखने की आजादी छीन ली थीं।भाजपा सरकार ने ऐसे लोगों को पेंशन देने का निर्णय लिया था जिसे सरकार ने बंद कर दिया है। विपक्ष इस अलोकतांत्रिक फैसले का विरोध करती हैं और सत्ता में आने पर ज्यादा पैसे के साथ इस पेंशन को फिर से शुरू किया जायेगा।वहीं संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि जयराम सरकार से पहले भी हिमाचल प्रदेश में भाजपा की सरकारें रही है। उसमें इस योजना को किसी भी सरकार ने शुरू नहीं किया और अब जब चुनावों से पहले जयराम ठाकुर को हार सामने दिखाई दी तो कुछ लोगों को फायदा देने के मकसद से इस योजना को शुरू किया गया, जिसका हिमाचल प्रदेश पर आर्थिक बोझ पड़ा है। आज़ादी की लड़ाई में किसी भी भाजपा या आरएसएस नेता की कोई भूमिका नहीं रही है। इसलिए आपातकाल में जेलों में रहे लोगों की तुलना करना सरासर ग़लत है।

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