हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली में अवैध मस्जिद को गिराने से पहले मस्जिद कमेटी ने वक्फ बोर्ड से इसकी अनुमति मांगी है। संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ ने कहा कि यह प्रॉपर्टी वक्फ बोर्ड की है। इसलिए वक्फ बोर्ड की परमिशन जरूरी है, ताकि भविष्य में कोई व्यक्ति उन्हें पार्टी न बनाए। बता दें कि नगर निगम शिमला आयुक्त ने संजौली मस्जिद की अवैध रूप से बनाई गई 3 मंजिल को गिराने के आदेश दे रखे है। संजौली मस्जिद कमेटी को आयुक्त कोर्ट के लिखित ऑर्डर कल (मंगलवार) को ही मिले है। इसके बाद मस्जिद कमेटी ने अवैध हिस्से को गिराने से पहले वक्फ बोर्ड को पत्र लिखा है। लिहाजा अब अवैध निर्माण तोड़ने का फैसला वक्फ बोर्ड लेगा। निगम आयुक्त ने मस्जिद कमेटी को अपने खर्च पर अवैध निर्माण तोड़ने के आदेश दे रखे है। वक्फ बोर्ड की मंजूरी के बाद अगले हफ्ते से मस्जिद को गिराने का काम शुरू हो सकता है। निगम आयुक्त कोर्ट में 21 दिसंबर को फिर होगी सुनवाई इस मामले में नगर निगम आयुक्त की कोर्ट में अगली सुनवाई 21 दिसंबर को होनी है। अगले सुनवाई में मस्जिद की दो मंजिल को लेकर फैसला होगा। इससे पहले संजौली की मस्जिद कमेटी और वक्फ बोर्ड ने बीते 12 सितंबर को एक एप्लिकेशन नगर निगम आयुक्त कोर्ट को दी थी, जिसमें ऊपर की 3 मंजिल गिराने की पेशकश की थी। इसी अंडरटेकिंग के आधार पर निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने बीते 5 अक्टूबर को अंतरिम आदेश जारी कर 3 मंजिल गिराने का फैसला सुनाया। 2 मंजिल की परमिशन, 5 मंजिल बना दी संजौली में आजादी से पहले सिर्फ 2 मंजिला मस्जिद थी। स्थानीय लोगों का आरोप है कि साल 2010 में यहां अवैध निर्माण शुरू किया गया। 2010 में ही नगर निगम ने अवैध निर्माण रोकने का नोटिस दिया। साल 2020 तक अवैध निर्माण रोकने के लिए 35 नोटिस दिए गए। तब तक मस्जिद दो मंजिल से 5 मंजिल बना दी गई। निगम आयुक्त कोर्ट में सुनवाई भी चलती रही और निर्माण भी जारी रहा। मस्जिद का नक्शा पास नहीं इमाम बोले- 1947 में बनी पुरानी मस्जिद मस्जिद के इमाम शहजाद ने इस मामले में कहा कि मस्जिद 1947 से पहले की है। पहले मस्जिद कच्ची थी और 2 मंजिल की थी। लोग मस्जिद के बाहर नमाज पढ़ते थे, इससे नमाज पढ़ने में दिक्कत आती थी। इसे देखते हुए लोगों ने चंदा इकट्ठा किया और मस्जिद निर्माण शुरू किया। जमीन वक्फ बोर्ड की थी, जिस पर 2 मंजिल पहले से बनी थीं। मस्जिद की 2 मंजिल को लेकर मामला कोर्ट में चल रहा है। वक्फ बोर्ड इसकी लड़ाई लड़ रहा है। कानून का जो निर्णय होगा, वह सभी को मंजूर होगा।

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