शिमला जिला के उप मंडल ठियोग में गिरी नदी पर बनी पेयजल परियोजना में सफेद तरल पदार्थ का वीडियो वायरल हुआ था। जिसके बाद ठियोग से लेकर शिमला तक हड़कंप मचा हुआ है। लोगों को पीने के पानी को लेकर डर का माहौल बना हुआ है। ठियोग के साथ शिमला में भी लोग दहशत में हैं। लोगों का आरोप है कि शिमला के पराला में बने सेब प्रोसेसिंग प्लांट में दूषित पानी की निकासी की व्यवस्था नही है, जिसके कारण प्लांट का दूषित पानी गिरी नदी में छोड़ा जा रहा है और लोगो को गंदा पानी पिलाया जा रहा है। लोगों ने उठाए प्लांट की कार्यप्रणाली पर सवाल
गुरुवार को स्थानीय विधायक कुलदीप राठौर, MD HPMC सुदेश मोकटा, SDM ठियोग व स्थानीय जल शक्ति विभाग की टीम ने मौके का दौरा किया। इस दौरान मौके पर पहुंचे स्थानीय लोगों ने खूब हंगामा किया और प्लांट की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करते हुए आरोप लगाए कि प्लांट से दूषित मल गिरी नदी में छोड़ा जा रहा है और जनता को गंदा पानी पिलाया जा रहा है । गिरी से शिमला को भी आता है 18 एमएलडी पानी
बता दें कि गिरी नदी से उप मंडल ठियोग के लिए लिए पानी की स्कीम बनी हुई है, जिससे क्षेत्र की साथ लगती आधा दर्जन से ज्यादा पंचायतों को पानी की सप्लाई होती है। वहीं इसके साथ गिरी नदी पर ही शिमला के लिए भी एक पेयजल परियोजना बनी हुई है जो शिमला के लिए पानी की आपूर्ति करने वाली सतलुज परियोजना के बाद दूसरी सबसे बड़ी परियोजना है। इस योजना से शहर में 18 एमएलडी पानी की सप्लाई होती है, जिसके कारण वबाल का असर शिमला तक देखने को मिल रहा है। शिमला में भी लोग पानी को लेकर दहशत में नजर आ रहे हैं। पैनिक होने की आवश्यकता नहीं, पानी साफ है :-एक्सईन
वहीं एक्सईएन मतियाना ( ठियोग ) अशोक भोपाल ने कहा कि डरने की कोई आवश्यकता नही है। बीते कल एक वीडियो वायरल हुआ जिसके कारण क्षेत्र में पैनिक माहौल बना और विभाग ने एहतियात के तौर पर पानी की सप्लाई बंद कर दी थी। लेकिन उन्होंने आज आवश्यक टेस्ट किए हैं, सभी ठीक आए है। पानी पीने योग्य है । उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि डरने की कोई बात नहीं है कल से सुचारु रूप से पानी की सप्लाई की जाएगी। जल में जो सफेद मल है उसके सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं, जिसकी रिपोर्ट आनी बाकी है। प्रोसेसिंग प्लांट से निकला है या नहीं जांच का विषय
वहीं मौके पर पहुंचे HPMC के प्रबंधक निदेशक सुदेश मोकटा ने कहा कि गिरी नदी में गए अवशेष प्रोसेसिंग प्लांट के हैं या नहीं? यह जांच का विषय है। पानी के सैंपल जांच के लिए भेज दिए गए हैं, रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल पाएगा। उन्होंने कहा कि पराला में सेब का प्रोसेसिंग प्लांट है, इसमें हार्मफुल केमिकल का प्रयोग किया ही नही जा सकता है। सेब प्रोसेसिंग प्लांट को लेकर लोगो का संदेह दूर करना आवश्यक :- राठौर
सूचना के अनुसार घटनास्थल का दौरा करने के बाद स्थानीय विधायक कुलदीप राठौर ने, HPMC MD व स्थानीय प्रशासन के साथ बैठक की। विधायक कुलदीप राठौर ने कहा कि देर शाम मामला ध्यान में आने के बाद आज उन्होंने अधिकारियों के साथ मौके का दौरा किया है और स्थिति का जायजा लिया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने अधिकारियों को बैठक में निर्देश दिए हैं, कि यह मसला लोगों के स्वास्थ्य जुड़ा है इसकी गंभीरता को देखते हुए जल्द ही इसमें कार्रवाई करें। राठौर ने कहा कि SDM की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया जाएगा जो समय समय पर मौके का निरीक्षण करेगी । उन्होंने कहा कि विदेशों से एक्सपर्ट बुलाएं जाएंगे जो पूरे प्लांट का निरीक्षण करे ताकि लोगो के मन मे डर ना रहें और लोगो की संतुष्टि हो सकें। क्या था मामला…?
बता दें कि बुधवार को शिमला के उपमंडल ठियोग के लिए गिरी नदी से होने वाली पानी की सप्लाई का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें सफेद रंग के कुछ तरल पदार्थ दिखाई दे रहा था जिसके बाद जल शक्ति विभाग के अधिकारी का एक वीडियो पराला में बने फूड प्रोसेसिंग प्लांट से जारी किया । जिसमें उन्होंने कहा कि यह मल वहां से जा रहा है जिसके कारण पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया और विभाग ने पूरे क्षेत्र में पानी की सप्लाई रोक दी थी। ठियोग से लेकर शिमला तक लोग दहशत में आ गए थे क्योंकि इसी नदी से शिमला के लिए भी पानी की सप्लाई होती है। शिमला में 2015 में फैला था पीलिया
दअरसल शिमला में 2014 – 2015 में भी शिमला में गंदे पानी की वजह से पीलिया फैला था। जिसके कारण 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो गयी थी और मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा था।
