आज शारदीय नवरात्रि का पहला दिन है। हिमाचल प्रदेश के सोलन में स्थित मां शूलिनी देवी के मंदिर में सुबह चार बजे से भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। भजन कीर्तन कर सभी ने मां का आशीष लिया। प्रशासन ने भी नवरात्रि को लेकर पूरी तैयारियां कर मंदिर परिसर को दुल्हन की तरह सजाया है। हिमाचल के अलावा अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु मां का आशीर्वाद लेने शूलिनी मंदिर पहुंचे। बता दें कि नवरात्रि का हर दिन माता दुर्गा के एक खास स्वरूप को समर्पित होता है। माता के भक्त हर दिन के हिसाब से विशिष्ट रंग का पोशाक पहनते हैं। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है। नवरात्रि उत्सव के दौरान घटस्थापना सबसे प्रमुख व अति महत्वपूर्ण है। इसके बाद नवरात्रि का पूजन व व्रत रखा जाता है। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा मान्यता है कि शैलपुत्री की पूजा से चंद्र ग्रह से जुड़े नकरात्मक प्रभावों से मां रक्षा करती हैं। चमेली का फूल देवी शैलपुत्री को काफी प्रिय है। देवी माता के शैलपुत्री रूप में उन्हें दो भुजाओं के साथ देखा जा सकता है। उनके एक हाथ (दाहिने) में त्रिशूल होता है, वहीं दूसरे (बायें) हाथ में उन्हें कमल पुष्प के साथ देख सकते हैं। माना जाता है कि सौभाग्य प्रदान करने वाले चंद्रमा, माता शैलपुत्री के द्वारा शासित हैं। द्रिक पंचांग के अनुसार देवी सती के रूप में आत्मदाह करने के बाद, माता पार्वती ने हिमालय (पर्वतराज) की पुत्री के रूप में जन्म लिया। संस्कृत में शैल का शाब्दिक अर्थ पर्वत होता है। माता के प्रथम स्वरूप यानि पर्वत की पुत्री को शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है। बैल, देवी शैलपुत्री का वाहन है। इस कारण उन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है। माता के शैलपुत्री स्वरुप की विशेषता के कारण नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की प्रथा है।

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