हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर में धार्मिक स्थल के निर्माण को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। हमीरपुर के साथ लगते सस्त्र गांव के जंगल वन विभाग ने आज मौके पर पहुंचकर इसका निर्माण कार्य रुकवाया और सारी निर्माण सामग्री उठाकर कब्जे में ली। अब विवाद शुरू हो गया है कि यह लखदाता पीर का स्थान है या फिर मजार! वन विभाग ने निशानदेही की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जंगल में इस निर्माण कार्य के बाद हिंदू संगठन भी सक्रिय हो गए हैं। मटानी स्थित स्कूल के ठीक सामने इस निर्माण कार्य को रुकवा दिया गया है। मौके से 100 मीटर की दूरी पर मस्जिद भी हैं। यह मस्जिद निजी भूमि पर हैं? अब इनकी निशानदेही की भी मांग उठने लगी है। बताया जा रहा है कि बीते कल निर्माण कार्य शुरू हुआ। टीननुमा इस जगह के भीतर चारों तरफ बाउंड्री वॉल लगाई जा रही थी। वहां पर टाइलिंग करने का भी प्लान था। स्थानीय लोगों ने वन विभाग को दी सूचना इनकी भनक जैसे ही स्थानीय लोगों को लगी, ग्रामीणों ने वन विभाग को फोन करके इसकी सूचना दी। उनका कहना था कि या जगह प्राइवेट नहीं है, वन विभाग की हो सकती है और यहां पर मजार बनी हुई है। अब उसे प्रोटेक्ट करने का काम शुरू हुआ था। मस्जिद विवाद में आग में घी का काम कर सकता है निर्माण प्रदेश में मस्जिद विवाद पहले ही तूल पकड़ चुका है। इस जगह पर अब निर्माण कार्य आग में घी डालने का काम कर सकता है। इसलिए जैसे ही सुबह अधिकारियों को पता चला, फॉरेस्ट गार्ड और उच्चाधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर निर्माण की सामग्री को उठा लिया। जो निर्माण हुआ था, उसे भी गिरा दिया गया। लख दाता पीर कमेटी के अध्यक्ष भागदीन का कहना है कि यहां कोई मजार नहीं है। यह लखदाता पीर का स्थान है। हर साल यहां पर छिंज आयोजित होती है। वन विभाग के गार्ड शुभम ठाकुर का कहना है कि निर्माण को रुकवा दिया गया है और सारी सामग्री को उठवाकर फेंक दी गई है। निशानदेही के लिए आवेदन हमीरपुर स्थित रेंज ऑफिसर अजय चंदेल ने बताया कि इस जगह की निशानदेही के लिए तहसीलदार को आवेदन किया जा रहा है, क्योंकि यहां पर मजार के लिए टीननुमा शेड बनाया हुआ है। अब वहां पर चार दिवारी भी लगाई जा रही थी। इसीलिए निशानदेही जरूरी है, लग यही रहा है कि यह फॉरेस्ट की जगह है।

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