हिमाचल प्रदेश के सोलन में भाजपा के जिला प्रवक्ता शैलेंद्र गुप्ता ने सरकार पर आरोप लगाया है, कि सुक्खू सरकार की नाकामियों, अफसरशाही पर ढीली पकड़ और गलत नीतियों से विश्व भर में फार्मा हब के रूप में पहचान बन चुके बीबीएन औद्योगिक क्षेत्र का अस्तित्व संकट में है। हर माह केंद्रीय ड्रग अलर्ट में हिमाचल में बनी दर्जनों जीवन रक्षक दवाओं के सैंपल फेल होना चिंताजनक है। पूरे देश पर उठ रहे सवाल इससे न केवल हिमाचल में बनी दवाओं और उनकी निगरानी पर भी पूरे देश में सवाल उठ रहे हैं। सोलन विधायक एवं स्वास्थ्य मंत्री के इस संबंध में तमाम निर्देश सुक्खू सरकार की गारंटियों की तरह हवा हवाई निकले हैं। वहीं बिजली वृद्धि सहन करने में उद्यमियों के हाथ भी खडे़ हैं। प्रदेश में सुक्खू सरकार बनने के बाद से लगभग 2 रुपए प्रति यूनिट बिजली की वृद्धि हो चुकी है, अब सब्सिडी वापस लेने की तैयारी में है। दूसरी और बीबीएन में खनन माफियाओं के हौसले बुलंद हैं। गुंडाराज ने बीबीएन ने परेशानी बढ़ाई सीपीएस और बद्दी के विधायक राम कुमार चौधरी अपने एरिया में कानून व्यवस्था बनाए रखने में नाकाम साबित हुए हैं। इसी का नतीजा है कि गुंडाराज ने बीबीएन ने परेशानी बढ़ाई हुई है। उन्होंने कहा कि सुक्खू के अफसरों को ड्रोन उड़ाना है, तो खनन माफिया को पकड़ने के लिए और गुंडाराज को खत्म करने के लिए उड़ाओ। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की जासूसी करके कांग्रेस को क्या मिलेगा? चिंता का विषय है कि यहां खनन और स्क्रैप माफिया पर लगाम लगाने में सरकार बिल्कुल नाकाम साबित हो रही है। कल जिस तरह नालागढ़ की नजदीक जगत खाना के पास खनन रोकने वाले ग्रामीणों पर जानलेवा हमला हुआ, उससे ऐसा लगता है। बीबीएन में सरकार नाम की कोई चीज नहीं है। इंडस्ट्री के बड़े पैमाने पर पलायन की तैयारी भारतीय जनता पार्टी जिला सोलन इस घटना की कड़ी निंदा करती है और जिस तरीके से सरकार के इशारे पर सरसा खड का चीर हरण किया जा रहा है, इस पर प्रभावी जांच और कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग सोलन भाजपा करता है। गुप्ता ने दावा किया कि सुक्खू सरकार के ऐसे कुप्रबंध और कारगुजारियों के चलते इंडस्ट्री के बड़े पैमाने पर पलायन की तैयारी कर रही है। यदि ऐसा हुआ तो इसका सीधा असर हिमाचल के राजस्व और रोजगार पर पड़ेगा। पूर्व प्रधानमंत्री ने दिया था औद्योगिक पैकेज भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि हालात ऐसे ही रहे तो कोई भी उद्योग तरक्की नहीं कर पाएगा। यहां नए स्टार्टअप नहीं लगेंगे और बड़ी संख्या में इंडस्ट्री पलायन करेगी। जिसका सीधा असर हिमाचल के विकास पर पड़ेगा। उन्होंने सुक्खू सरकार को चेताया है कि अगर हालात नहीं सुधरे, तो इसका खामियाजा सुक्खू सरकार को भुगतना होगा। बता दें कि 3 जनवरी 2003 को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने प्रदेश को यह औद्योगिक पैकेज दिया था। उसके पश्चात यूपीए की केंद्र सरकार इस फैसले को पचा नहीं सकी और इसे 2007 में ही बंद कर दिया। जबकि इस पैकेज के घोषणा के बाद हिमाचल प्रदेश उद्योग की क्षेत्र में देश में नहीं, पूरे विश्व में एक अलग पहचान बना रहा था।