हिमाचल प्रदेश में नशे के खात्मे के लिए पंचायतों के सहयोग से विशेष अभियान चलाया जाएगा। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल और पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह के बीच शनिवार को राजभवन में आयोजित मीटिंग में यह निर्णय लिया गया। इस अभियान में पंचायती राज संस्थानों, पंचायत समिति सदस्य (BDC), शिक्षा, पुलिस विभाग सहित और अन्य विभागों को भी शामिल किया जाएगा। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज महत्वपूर्ण विभाग है, जो न केवल ग्रामीण स्तर पर विकासात्मक कार्यों बल्कि जागरूकता के लिए प्रभावी कार्य कर सकता है। उन्होंने कहा कि नशे को रोकना है तो पंचायती राज और शिक्षा विभाग दोनों ऐसे सेक्टर हैं, जिन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। राज्यपाल ने कहा, ऊना जिले में भी इस तरह के अभियान की कुछ समय पहले शुरुआत की गई थी। जो एक वर्ष तक चला और इसके अच्छे परिणाम सामने आए हैं। राज्यपाल ने प्रसन्नता व्यक्त की कि सरकार भी नशे के खिलाफ गंभीरता से प्रयास कर रही है और इस विषय पर हो रही चर्चा से वह अवगत हैं। उन्होंने कहा, नशे के खिलाफ सामूहिक प्रयासों से बड़ा आंदोलन चलाया जा सकता है। जिससे आम आदमी भी खुलकर नशा करने वालों और नशा बेचने वालों के विरोध में आगे आएंगे। उन्होंने विभाग को वीडियो संदेश तथा जागरूकता सामग्री से ग्रामीण स्तर पर लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता पर बल दिया। सिंथेटिक ड्रग्स चिंता का विषय- अनिरुद्ध अनिरुद्ध सिंह ने राज्यपाल की इस पहल पर विभाग द्वारा हर संभव सहयोग करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य को नशा मुक्त करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। नशे पर अंकुश लगाने के लिए हर एक जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने नशे के मामले में कानून में बदलाव की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आज सबसे बड़ी चिंता सिंथेटिक ड्रग्स की है। प्रदेश की जेलों मे चिट्टे के मामले क्षमता से अधिक हैं। ये अधिकारी भी मौजूद रहे इस दौरान ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज के सचिव राजेश शर्मा, राज्यपाल के सचिव सीपी वर्मा, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के निदेशक राघव शर्मा, अतिरिक्त निदेशक नीरज चांदला एवं केवल शर्मा तथा अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे।