देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से कुछ दूरी पर एक ऐसा कस्बा भी है जो आज भी बुनियादी चीजों के लिए तरस रहा है। यहां आज भी डोली के जरिए गंभीर मरीजों को अस्पताल पहुंचाया जाता है। न सड़क है और न एंबुलेंस।


देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से कुछ दूरी पर एक ऐसा कस्बा भी है जो आज भी बुनियादी चीजों के लिए तरस रहा है। यहां आज भी डोली के जरिए गंभीर मरीजों को अस्पताल पहुंचाया जाता है। न सड़क है और न एंबुलेंस। 

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