हिमाचल में कांग्रेस हाईकमान डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री को चुनाव लड़ा सकती है। उन्हें हमीरपुर लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी अनुराग ठाकुर के खिलाफ उम्मीदवार बनाया जा सकता है। मुकेश अग्निहोत्री हमीरपुर की हरोली विधानसभा सीट से विधायक हैं। कांग्रेस इससे पहले शिमला से विनोद सुल्तानपुरी और मंडी सीट से विक्रमादित्य सिंह को चुनावी मैदान में उतार चुकी है। विनोद सुल्तानपुरी कसौली तो विक्रमादित्य सिंह शिमला ग्रामीण से सिटिंग MLA हैं। अब कांग्रेस कांगड़ा और हमीरपुर से भी मौजूदा विधायक को लड़ाने की तैयारी है। कांगड़ा सीट से नगरोटा बगवां के विधायक आरएस बाली को चुनाव लड़ाने की तैयारी है। वहीं हिमाचल हाईकोर्ट में चल रहे CPS केस की वजह से भी 6 विधायकों की सदस्यता पर अभी खतरा मंडरा रहा है। इनकी सदस्यता गई तो कांग्रेस के पास 24 विधायक रह जाएंगे, जबकि वर्तमान में BJP के पास 25 विधायक हैं। मुकेश अग्निहोत्री पर दांव खेलने की तैयारी
मुकेश अग्निहोत्री लोकसभा चुनाव लड़ने को इनकार कर चुके हैं। फिर भी कांग्रेस के सीनियर लीडर हमीरपुर सीट से लगातार 4 चुनाव जीत रहे अनुराग ठाकुर के सामने सशक्त नेता को उतारना चाह रहे हैं। इसके लिए कांग्रेस यहां भी सीटिंग MLA पर एक्सपेरिमेंट करने की सोच रही है। इसलिए आखिरी मौके पर मुकेश अग्निहोत्री का नाम उछाला जा रहा है। मुकेश से पहले उनकी बेटी आस्था अग्निहोत्री का नाम केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) मीटिंग में आगे बढ़ाया गया था। मगर, आस्था ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया और कहा कि वह अपनी मां के निधन की वजह से चुनाव लड़ने की स्थिति में नहीं है। विधानसभा उप चुनाव पर निर्भर रहेगा सरकार का भविष्य
15 महीने पहले जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो पार्टी के 40 विधायक जीतकर आए थे। राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोट करने और पार्टी व्हिप का उलंघन करने वाले 6 कांग्रेस विधायकों के अयोग्य ठहराने के बाद संख्याबल कम होकर 34 रह गया। फिर भी कांग्रेस सीटिंग MLA को चुनाव लड़ा रही है और 6 CPS बने विधायकों पर भी संकट बरकरार है। कांग्रेस पर यह संकट विधानसभा उपचुनाव में जीत ही टाल सकती है। यानी कांग्रेस सरकार का भविष्य अब उपचुनाव पर निर्भर है। कांग्रेस को अपने विधायकों का आंकड़ा 35 हर हाल में करना होगा। ऐसा नहीं किया गया तो ‌BJP अपने अधूरे मिशन लोटस को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। BJP के 11 विधायकों ने CPS को दे रखी चुनौती
भाजपा के 11 विधायकों ने CPS को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का पद बताते हुए न केवल CPS बल्कि विधायकों की सदस्यता भी खत्म करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका डाल रखी है। यह केस अदालत में विचाराधीन है और इस मामले में 8 मई को दोबारा सुनवाई होनी है। यदि इनकी सदस्यता गई तो निश्चित तौर पर सरकार पर गंभीर संकट आ जाएगा। इनकी सदस्यता बच जाती है तो भी सरकार को पूर्ण बहुमत के लिए उप चुनाव जीतने होंगे। इतनी सीटों पर होंगे उप चुनाव
CPS बनाए गए 6 विधायकों की सदस्यता गई तो BJP की राह आसान हो जाएगी। इससे हिमाचल सरकार का भविष्य विधानसभा उप चुनाव पर निर्भर करेगा। फिलहाल अभी छह सीटों पर उप चुनाव तय है। तीन निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे मंजूर किए गए तो उप चुनाव नौ सीटों पर होगा। 6 CPS की सदस्यता गई तो 15 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होगा। इसी तरह लोकसभा में प्रत्याशी बनाए गए जितने सिटिंग MLA चुनाव जीतते हैं, उन सीटों पर भी उपचुनाव होगा। अभी विधानसभा में विधायकों का संख्या बल
68 विधायकों वाली हिमाचल विधानसभा में बहुमत के लिए 35 विधायक चाहिए। जो अभी कांग्रेस के पास नहीं है। मगर अयोग्य ठहराए गए विधायकों के कारण अभी हाउस 62 का है। वर्तमान में कांग्रेस के पास 34 विधायक, BJP के पास 25 और 3 निर्दलीय है। मगर 3 निर्दलीय BJP जॉइन कर चुके हैं। इन्होंने अपने पद से रिजाइन कर दिया है। यानी इनका इस्तीफा स्वीकार होते ही हाउस 59 का रह जाएगा।

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