हिमाचल के प्रीमियम हेल्थ इंस्टीट्यूट IGMC शिमला में मरीज से मारपीट मामले में हिमाचल सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए संबंधित डॉक्टर की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त (टर्मिनेट) कर दिया हैं। यह कार्रवाई स्टेट एसोसिएशन ऑफ मेडिकल एंड डेंटल कॉलेज टीचर्स (सैमडकोट) की हड़ताल की चेतावनी के बावजूद की गई है। सरकार के इस फैसले को भविष्य में अस्पतालों में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए एक नजीर फैसले के तौर पर देखा जा रहा है। वहीं सैमडकोट एसोसिएशन इस कार्रवाई से नाराज है। एसोसिएशन के महासचिव डॉ. पियूष कपिला ने बताया- सरकार का फैसला एक्सेप्टेबल नहीं है। एक दिन के भीतर ही जांच व कार्रवाई कर दी गई। यह नहीं पूछा कि झगड़ा स्टार्ट कहां से हुई। पूरे वीडियो उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा- कि जांच रिपोर्ट में दोनों को गलत बोला गया। एक दो सुपर स्पेशल वार्ड दे दिया, जबकि दूसरे को टर्मिनेट कर दिया। एक-दूसरे को क्रॉस एक्जामिन करने का मौका नहीं दिया। जिन लोगों ने कहा कि इसको (डॉक्टर) को हमारे हवाले कर दो, धमकी दी कि या तो ये खुद मर जाएगा, या फिर देश छोड़ देगा और भीड़ इकट्ठा की, उन लोगों को अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया। उन्होंने कहा- यह गलत कार्रवाई है। वहीं रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन भी कुछ देर में मीटिंग कर आंदोलन की रणनीति तैयार कर सकती है। एसोसिएशन बोली- दोषियों पर कार्रवाई हो सैमडकोट एसोसिएशन का दावा है कि घटना के दौरान डॉक्टरों को लंबे समय तक गाली-गलौज, धमकियों और भीड़ के दबाव का सामना करना पड़ा, जिससे अस्पताल की सेवाएं प्रभावित हुईं। सैमडकोट ने डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और सभी दोषियों पर समान रूप से कार्रवाई की मांग की है। सुक्खू सरकार ने की सख्त कार्रवाई वहीं सुक्खू सरकार ने डॉक्टर को टर्मिनेट कर स्पष्ट संकेत दिया है कि मरीजों के साथ किसी भी प्रकार का हिंसक या असंयमित व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस कार्रवाई के बाद सरकार और सैमडकोट एसोसिएशन के बीच टकराव बढ़ने के आसार बन गए हैं। आईजीएमसी में 22 दिसंबर को हुई थी मारपीट गौरतलब है कि 22 दिसंबर को IGMC शिमला में डॉ. राघव निरूला और मरीज के बीच मारपीट की घटना सामने आई थी। वायरल वीडियो में डॉक्टर मरीज की पिटाई करता दिखा, जबकि मरीज भी डॉक्टर पर पांव से वार करता नजर आया। वीडियो सामने आने के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 24 घंटे के भीतर जांच रिपोर्ट और सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे। पुलिस भी मामले की जांच कर रही इस मामले में मरीज ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है और पुलिस अलग से जांच कर रही है। हालांकि अस्पताल का सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध नहीं हो पाया है। पुलिस अब उस व्यक्ति से मूल (ऑरिजनल) वीडियो रिकवर करेगी, जिसने घटना का वीडियो शूट किया था। जांच रिपोर्ट में मरीज-डॉक्टर दोनों की गलती निदेशक मेडिकल एजुकेशन कार्यालय की ओर से जारी टर्मिनेशन ऑर्डर में कहा गया है कि जांच में मरीज और डॉक्टर- दोनों की गलती पाई गई। दोनों पक्षों के बीच बहस और हाथापाई हुई, जिसे कदाचार, दुर्व्यवहार और सार्वजनिक सेवक के आचरण के विपरीत मानते हुए रेजिडेंट डॉक्टर पॉलिसी-2025 का उल्लंघन बताया गया है।