उत्तराखंड के लोगों को इलाज के लिए हिमाचल प्रदेश जाना पड़ रहा है। ताजा मामला उत्तरकाशी से सामने आया है, जहां की ग्राम प्रधान निर्मला राणा ने बताया कि हमारी यहां कोई भी हॉस्पिटल नहीं है। अगर किसी की तबीयत ज्यादा खराब हो जाती है तो हमें 260 किलोमीटर दूर हिमाचल के शिमला के रोहड़ू जाना पड़ता है। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले सेब के बाग में काम कर रहे एक युवक पर भालू ने हमला कर दिया था। उसे हिमाचल प्रदेश ले जाना पड़ा। वहां जाकर हम शर्मिंदा हो गए। वे लोग हमसे पूछते है कि आपकी सरकार क्या कर रही है। आपके यहां इतनी भी सुविधा नहीं है। वे लोग हमें सुनाते हैं। आज कल जानवरों की बहुत देखभाल होती लेकिन आज हमारे साथ पशु से भी बदतर व्यवहार हो रहा। ऐसा हाल सिर्फ हमारा नहीं है बल्कि 25 गांवों का यही हाल है। इस बात का पता तब चला जब शनिवार को डीएम प्रशांत आर्य जनसमस्याएं सुन रहे थे। सिलसिलेवार ढंग से पढ़िए पूरी खबर… स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों और कर्मचारियों की कमी जानकारी के मुताबिक, डीएम प्रशांत आर्य शनिवार को राज्यव्यापी अभियान “जन-जन की सरकार, जन-जन के द्वार” के तहत दूरस्थ गांव में पहुंचे थे। इसी दौरान मोरी ब्लॉक के आराकोट गांव की प्रधान निर्मला राणा मीडिया के सामने आई और उन्होंने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि मोरी और तुनी सहित अन्य जगहों पर इलाज की सुविधाएं न होने के कारण हम लोगों को हिमाचल प्रदेश जाना पड़ा रहा है। उल्टी और दस्त के इलाज के लिए भी लोगों को रोहड़ू जाना पड़ता है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों और कर्मचारियों की कमी के कारण स्थानीय स्तर पर बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं मिलना असंभव हो जाता है। जिसके चलते उन्हें चिकित्सा उपचार के लिए राज्य की सीमा पार करनी पड़ती है। गर्भवती महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा परेशानी क्षेत्र में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र होने के बावजूद, डॉक्टरों, नर्सों और फार्मासिस्टों की कमी के कारण यह केंद्र लगभग निष्क्रिय पड़ा है। ग्रामीणों ने बताया कि सामान्य बीमारियों, गर्भवती महिलाओं की नियमित जांच, बच्चों के टीकाकरण और आपातकालीन देखभाल के लिए भी उन्हें पड़ोसी राज्य के स्वास्थ्य केंद्रों तक लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। शिविर में कुल 133 लिखित शिकायतें मिली, हालांकि इनमें से केवल 20 का ही मौके पर समाधान किया गया। वहीं, राजस्व विभाग ने इस दौरान 10 जाति प्रमाण पत्र और 20 स्थायी निवास प्रमाण पत्र जारी किए। उपस्थित अन्य अधिकारियों में पुरोला के उप-विभागीय मजिस्ट्रेट मुकेश चंद रामोला, कनिष्ठ उप प्रमुख कमलेश रावत, जिला परियोजना निदेशक अजय सिंह, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी एचएस बिष्ट, मुख्य कृषि अधिकारी एसएस वर्मा, अरकोट न्याय पंचायत के नोडल अधिकारी योगेंद्र सिंह और मोरी के ब्लॉक विकास अधिकारी शशिभूषण बिनजोला शामिल थे।