धर्मशाला में सरकारी जमीन को निजी हाथों में बेचने के घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की एंट्री हो गई है। इस मामले में बेनामी संपत्ति और क्रिप्टो करेंसी के जरिए काले धन के इस्तेमाल का संदेह जताया जा रहा है। तहसीलदार गिरीराज ठाकुर की जांच में 2019-21 के बीच हुए 9 फर्जी इंतकाल (म्यूटेशन) पहले ही रद्द किए जा चुके हैं। कांगड़ा के नगरोटा बगवां में हाल ही में हुए क्रिप्टो घोटाले से जुड़े ईडी के छापों के तार अब धर्मशाला लैंड स्कैम से जुड़ते दिख रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, नगरोटा बगवां में मिले दस्तावेजों से संकेत मिलता है कि फर्जी जमीन सौदों के लिए क्रिप्टो करेंसी से जुटाए गए काले धन का इस्तेमाल किया गया हो सकता है। इसके देखते हए अब पांच छह साल के बीच हुए जमीन के सौदों की जांच की जा रही है। इसमें यह भी जांच की जा रही है कि खरीदारों के पास इतना पैसा आया कहां से। इसमें कई की आय के संदिग्ध होने के संकेत मिले हैं। सूत्रों के अनुसार इसमें विदेश से आए फंड की जांच भी की जा रही है। जानिए— यह घोटाला कितना बड़ा और कितना राजनैतिक बवाल खड़ा करेगा कई बड़े नाम हो सकते हैं घोटाले में शामिल रद्द किए गए 9 इंतकालों से संबंधित विस्तृत जानकारी को गोपनीय रखा जा रहा है। इस घोटाले में जिले के कुछ प्रभावशाली लोग शामिल हो सकते हैं। इसके कारण अधिकारी इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं। इसमें कई अहम सवाल उठ रहे हैं, जैसे कि इन सौदों के लिए फंडिंग का स्रोत क्या था। बिना पर्याप्त आय के करोड़ों की जमीन कैसे खरीदी गई। यह भी जांच का विषय है कि क्या इन बेनामी सौदों के पीछे राजनेता या अधिकारी जैसे प्रभावशाली चेहरे हैं। बेनामी संपत्ति का संदेह, कई खरीदारों की आय संदिग्ध बेनामी संपत्ति के संदेह के चलते केंद्रीय एजेंसियां सक्रिय हो गई हैं। धर्मशाला में पिछले 5-6 सालों के दौरान हुए बड़े जमीन सौदों की जांच की जा रही है, खासकर उन सरकारी जमीन सौदों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, जहां खरीदारों की आय संदिग्ध पाई गई है। रद्द किए गए 9 इंतकालों के बाद संबंधित जमीन सरकार को वापस मिल रही है। बाहर से फंडिंग के भी मिले हैं संकेत धर्मशाला के तहसीलदार गिरीराज ठाकुर ने इस संबंध में कहा है कि “जांच जारी है।” ईडी की कार्रवाई से यह स्पष्ट हो रहा है कि इस जिले का पैसा केवल स्थानीय नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय घोटालों से भी जुड़ा हो सकता है। चकवन घन्यारा, मोहली लाहड़ां दी और ठेहड़ जैसे क्षेत्रों में सरकारी जमीन की हेराफेरी बिना किसी ‘बड़े हाथ’ के संभव नहीं मानी जा रही है। जांच में मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल को प्रमुखता से देखा जा रहा है।